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Daya Prakash Sinha

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हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता है। पिछले चालीस वर्षों में अभिनेता, नाटककार, निर्देशक, नाट्य-अध्येता के रूप में भारतीय रंगविधा को उन्होंने विशिष्ट योगदान दिया है। दया प्रकाश सिन्हा अपने नाटकों के प्रकाशन के पूर्व, स्वयं उनको निर्देशित करके संशोधित/संवर्धित करते हैं। इसलिए उनके नाटक साहित्यगत/कलागत मूल्यों को सुरक्षित रखते हुए मंचीय भी होते हैं। दया प्रकाश सिन्हा के प्रकाशित नाटक हैं- मन के भँवर, इतिहास चक्र, ओह अमेरिका, मेरे भाई: मेरे दोस्त, कथा एक कंस की, सादर आपका, सीढ़ियाँ, अपने अपने दाँव, साँझ-सबेरा, पंचतंत्रा लघुनाटक (बाल नाटक), हास्य एकांकी (संग्रह), इतिहास, दुस्मन, रक्त-अभिषेक तथा सम्राट अशोक। दया प्रकाश सिन्हा नाटक-लेखन के लिए केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली के राष्ट्रीय ‘अकादमी अवार्ड’, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के ‘अकादमी पुरस्कार’, हिन्दी अकादमी, दिल्ली के ‘साहित्य-सम्मान’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘साहित्य भूषण’ एवं ‘लोहिया सम्मान’, भुवनेश्वर शोध संस्थान के भुवनेश्वर सम्मान, आदर्श कला संगम, मुरादाबाद के ‘फ़िदा हुसैन नरसी पुरस्कार’, डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल स्मृति फाउंडेशन के ‘डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल स्मृति सम्मान’ तथा नाट्यायन, ग्वालियर के ‘भवभूति पुरस्कार’ से विभूषित हो चुके हैं। नाट्य-लेखन के अतिरिक्त दया प्रकाश सिन्हा की रुचि लोक कला, ललित कला, पुरातत्त्व, इतिहास और समसामयिक राजनीति में भी है। दया प्रकाश सिन्हा आई. ए. एस. से अवकाश-प्राप्ति के पश्चात् स्वतन्त्र लेखन और रंगमंच से सम्बद्ध हैं।

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