
Kiran Kohli Narain
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किरण कोहली नारायण का जन्म 19 जनवरी,1943 को बारामुला कश्मीर में हुआ। अक्टूबर 1947 में हुए दंगों में परिवार का सब कुछ लुट जाने के बाद उन्हें अपना घर छोड़कर श्रीनगर में रहना पड़ा। उनके पिता स्वर्गीय प्रेमनाथ कोहली, जो कि एक सुप्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक थे, जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह जी के विश्वासपात्र एवं उनकी निजी सम्पति के संरक्षक रहे। महाराजा हरि सिंह के बम्बई निर्वासित होने के उपरान्त कोहली ने अपनी जान पर खेलकर महाराजा की सम्पत्ति का शेख अब्दुल्लाह एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा हथियाये जाने का जी तोड़ विरोध और सामना किया इसलिए अपने घर में हो रही तत्कालीन राजनैतिक गतिविधियों की चर्चा किरण के बचपन का अमिट भाग रही। 1965 में उनका विवाह श्री बी. नारायण आई. आर. एस. से सम्पन्न होने के कारण वह 10 वर्ष तक कलकता रहीं पर उन्हें श्रीनगर सदैव खींचता रहा और प्रत्येक वर्ष वह दो महीने पिता के साथ यहाँ रहने आती रहीं। अपने परिवार की भलीभांति देख-रेख करते हुए भी किरण की रुचि लेखन में सदैव रही और वह हिन्दी एवं अँग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती रहीं। उनके लेख और कहानियाँ 'सरिता', 'वामा', 'गृहशोभा' जैसी हिन्दी और 'फेमिना', 'वुमन्स इरा' इत्यादि में विभिन्न मुद्दों को लेकर छपते रहे, पाँच वर्ष तक उनका बागबानी का स्तम्भ 'ट्रिब्यून' में छपता रहा। 1990 में हो रहे हिन्दुओं के निष्कासन और अपने सगे-सम्बन्धियों के मारे जाने के कारण किरण कई वर्ष व्यथित रहीं और 2015 में उनकी अंग्रेजी पुस्तक कश्मीर द लॉस ऑफ इनोसेंस छपी जिसे पत्र-पत्रिकाओं में लिखी समीक्षाओं द्वारा काफ़ी सराहना मिली।