Baarish, Eshwar Aur Mrityu

In stock
Only %1 left
SKU
9788181431813
Rating:
0%
As low as ₹142.50 Regular Price ₹150.00
Save 5%
बारिश, ईश्वर और मृत्यु - 
स्कूल की टेरेस पर अपनी उन चिट्टियों को फाड़ते हुए मैं उस व्यक्ति को याद करता रहा था जिससे मैंने कितना कुछ पाया था और जिसके साथ मैंने कुछ पुरानी और पवित्र चीज़ों को पहचाना था। प्रेम और उसकी पीड़ा को मैं कभी पहचान ही नहीं पाता अगर मैंने उस प्रवास के कुछ दिन उनके साथ न बिताये होते।
(सुबह) कहीं कोई आदमी किसी लड़की की लिखी गयी चिट्ठियों को जलाता है और कहीं कोई औरत अपने घर की छत पर खड़े होकर जलती चिट्ठियों से उठती जाग और धुएँ को देखती रहती है। इस तरह पुराने प्रेम की पीड़ा परछाइयाँ और पछतावे बीच-बीच में लोगों को छेड़ते रहते हैं, घेरते रहते हैं। - (एक नीरस कविता)
सदियाँ बीत जाती हैं। समय कितने निराले, लापरवाह और चुपचाप ढंग से बढ़ता चला जाता है। जिस पर बीतती है, वही जानता है और दूसरे के लिए कभी भी उसका कोई महत्व नहीं रहता। समय हर आदमी के जीवन में अपने ढंग से बनता, उतरता और गुज़रता है। इसीलिए यह भी कहा जा सकता है कि हर आदमी का अपना समय होता है। केवल उसका अपना और अकेला समय। -(दूसरा प्रेम)
और उसके जाने के बाद मैं सोचती रही कि अगर वह मेरे जीवन में नहीं आता तब मेरे साथ क्या-क्या नहीं होता, मैं किन अभावों के बीच जीती कितनी-कितनी बातों को महसूस न कर पाती। इस तरह सोचते चले जाने का सिलसिला लम्बा भी था और दिलचस्प भी। जो लोग हमारे जीवन से जुड़ जाते हैं, उनके न जुड़ने के बारे में सोचना अपने आपको ख़ाली होते हुए देखना है, अपने आपको आधा-अधूरा पाना है। (मुरमुंडा)
घनघोर बारिश के उन दिनों में न जाने क्यों ऐसा लगता था कि मृत्यु बारिश की वजह से ही कहीं खड़ी हो जायेगी और मीरा तक आने के अपने संकल्प को भूल जायेगी। तब तक मृत्यु के अपने संकल्प का मुझे पता ही क्या था? मीरा का जीवन समाप्त हुआ और तब ही मेरा जीवन भी शुरू हुआ। उसके नहीं रहने पर, मैंने उसके होने को जीना शुरू किया।
ISBN
9788181431813
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Baarish, Eshwar Aur Mrityu
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/