Baarish Mein Bheegte Bachche

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रामदरश मिश्र गमले के फूल नहीं, एक खास जमीन में उगे हुए पेड़ हैं, जिनके फूलों की महक लोक-जीवन की लय के साथ-साथ व्यक्ति-जीवन की लय के अन्वेषण में भी है। इनकी कविता का खास स्वभाव यह है कि वह पाठक के साथ-साथ चलते-चलते अन्त में एक विस्मयकारी प्रभाव दे जाती है जबकि शुरू में नहीं लगता है कि एक प्रभाव जमा रही है-दरअसल कविताएँ प्रभाव छोड़ती नहीं चली जातीं बल्कि प्रभावों को जमा करती चली जाती हैं जो अन्त में घनीभूत होकर ठोसावस्था में हृदय और मस्तिष्क पर उभरती हैं जो कविताओं का वैशिष्ट्य है एक घनत्व के रूप में। इसके अतिरिक्त बिम्बधर्मिता, चित्रात्मकता और सुन्दर प्रतीक मिश्रजी की काव्य-प्रतिभा के परिचायक हैं जो पाठकों को धीरे से छू लेते हैं। इनका कारण है कि ये सब अन्य कवियों की तरह 'पोइटिक' ज्यादा नहीं बल्कि सहज रूप से काव्य में आये हैं, पूरी स्पष्टता के साथ उतरते हैं मानस पटल पर । दरअसल यह सफलता, अनुभव, संवेदना, विचार एवं भाषा की सामूहिक और संतुलित भागेदारी का प्रयास है इसलिए ऐसा लगता है कि इन कविताओं में न तो कोई खास चीज़ छूट गई है और न अनावश्यक रूप से कुछ जुड़ ही गया है । - विमल कुमार ('रचनाकार रामदरश मिश्र' पुस्तक से)

ISBN
9788170554561
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