Bahadur Kalarin

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9789388434027
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हर बड़े शायर को कड़ी आजमाइशों से गुजरना होता है। मीर को अपनी अजमत के इजहार के लिए अजगर नामा लिखने की जरूरत पड़ी। ग़ालिब ने क्या क्या मारका आराइयाँ की। फ़ैज़ जिन्हें उनकी जिन्दगी में मकबूलियत और इज्जत मिल गयी उन्हें भी आसानी से यह रुतबा नहीं मिला था। गजिशता तीस बरस में बशीर बद्र ने भी ये सख्तियों झेली हैं। 'इकाई' से लेकर 'आमद' तक उन बड़ी-बड़ी आज़माइशों से वो गुजरे हैं। उनकी ग़ज़लों की पहली किताब 'इकाई' ने हमारे अदब में तहलका मचा दिया था। एक अजीब शान और धूम से बशीर बद्र ग़जल की दुनिया में आये लेकिन इस पर भी बड़े सर्दी गर्म मौसम गुजरे, तब वो यहाँ तक पहुँचे हैं। -प्रो. गोपी चन्द नारंग

ISBN
9789388434027
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