Bass Bahut Ho Chuka

In stock
Only %1 left
SKU
9788170555216
Rating:
0%
As low as ₹375.25 Regular Price ₹395.00
Save 5%
"समीक्षकों की नज़र में वाल्मीकि की कविताएँ - हिन्दी दलित साहित्य की चर्चित एवं बहुप्रशंसित कृति दलित जीवन के दाहक-अनुभवों, संघर्षों की सशक्त अभिव्यक्ति । जिसे पाठकों ने ही नहीं समीक्षकों, आलोचकों, विद्वानों ने दलित-चेतना की महत्त्वपूर्ण कृति माना । 'सदियों का सन्ताप' काव्य पुस्तक बहुत छोटी है, परन्तु गुणात्मक दृष्टि से अभिव्यक्ति में बेहद सशक्त है। - डॉ. धर्मवीर ★★★ संग्रह की हर कविता मेरा बयान लगती है। मेरी पीड़ा और प्रश्न इन कविताओं में दिखायी दिये। - शरणकुमार लिंबाले ★★★ संग्रह की कविताएँ पढ़कर लगा कि हिन्दी कविता मर गयी थी, वह जन्म ले रही है। - डॉ. मस्तराम कपूर ★★★ सचमुच संग्रह की कविताएँ ज्वालामुखी बनकर सदियों का सन्ताप उगल रही हैं और एक नयी सोच को जन्म दे रही हैं। - डॉ. श्याम सिंह शशि ★★★ कविताओं में भावाकुलता है और शब्द तथा भावना को एकाकार कर सकने की दुर्धर्ष जिजीविषा । - बटरोही ★★★ कविताएँ मुझे बहुत सार्थक लगीं। शिल्प और कथ्य दोनों भाये। - अजीत पुष्कल ★★★ कविताओं ने इतने प्रश्न दिये कि हाथ मलने और हतप्रभ रह जाने के सिवा कुछ नहीं कर सका। दर्द का सैलाब हैं ये कविताएँ। - डॉ. प्रतीक मिश्र ★★★ आज शब्द और भाषा अपनी पहचान खो चुके मुझे प्रतिशब्द की पहचान की आहट मिली है। हैं। इन रचनाओं में - मालती शर्मा ★★★ संग्रह की प्रत्येक कविता सामाजिक परिवर्तन की जिजीविषा को सशक्त अभिव्यक्ति देती है। - प्रेमचन्द गाँधी ★★★ कविताओं में बड़ी आग है। आग चूल्हे की हो या कविता की, ऊष्मा ही नहीं ऊर्जा भी देती है। -डॉ. हनुमन्त नायडू ★★★ संग्रह की कविताएँ दलितों की सदियों की सन्तप्तता को उसकी तिक्तता के साथ कभी सीधे और कभी प्रतीकात्मक रूप से संप्रेषित करती हैं। - कृष्ण शलभ"
ISBN
9788170555216
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Bass Bahut Ho Chuka
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/