Bharatiya Bhashaon Mein Ramkatha : Odia Bhasha 

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राम' अथवा राम भावादर्श ओडिशा में किस समय, किसके ज़रिये, किस रूप में या किस तरह आया है-उसके बारे में निर्धारित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। पर एक बात तय है कि राम जब भी आये सबसे पहले आम आदमी की जुबाँ पर चढ़कर आये। वे क्रमशः स्थापत्य में आये, फिर चित्रकला और अक्षर कर्म के ज़रिये अभिव्यक्त हुए। कालान्तर में नृत्य, नाटक व प्रदर्शनधर्मी कला में आये और अपनी लोकप्रियता के कारण क्रमशः देश-विदेश में छा गये। 'राम' एवं 'रामकथा' सत्य एवं शाश्वत है। चूँकि यह जन-जीवन से जुड़ी हुई है, हिन्दुस्तान की अस्मिता के प्रतीक राम अब देश की सीमा पार कर विश्व भर में अपनाये जा रहे हैं। लेकिन अपने हीन स्वार्थ साधने के लिए राम के अस्तित्व को नकारने वालों को समझना चाहिए कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम शाश्वत थे, हैं और रहेंगे। ज़रूरत है, हम उनके वास्तविक एवं सात्विक रूप को पहचानें। उनके जीवन-चरित्र से लोक-कल्याणकारी जीवन-दृष्टि एवं मूल्यों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। क्योंकि किसी का भला करना ही असली धर्म है। आज जब विश्व भर में परपीड़न के लिए सन्त्रासवादी सक्रिय हैं, रामकथा और भी अधिक प्रासंगिक हो गयी है।
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9789390678181
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