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Bharatiya Shasan Ke Sarachnatmak Aadhar

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भारतीय शासन के संरचनात्मक आधार रीडर मूलतः भारतीय संविधान निर्माण और भारतीय राज्य व्यवस्था की विभिन्न संस्थाओं पर विभिन्न लेखकों के आलेखों का संकलन है, जो विभिन्न पुस्तकों, शोध एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। आलेख दृष्टि सम्पन्न हैं और संविधान के निर्माण, विचार और विभिन्न संस्थाओं एवं पदों पर नये तरीके से सोच को विकसित करने का कार्य करते हैं।
संकलन में 5 खण्ड हैं। प्रथम खण्ड संविधान के स्रोतों, संविधान सभा के विवेचन से सम्बन्धित है। इसमें भारतीय संविधान के निर्माण में नेहरू के प्रभावों को समझने का भी प्रयास किया गया है। इसके अलावा वैचारिक सन्दर्भ में संविधान की समीक्षा की चर्चा की गयी है। द्वितीय खण्ड भारत की राज्य व्यवस्था पर है। भारत की व्यवस्था संसदात्मक हो अथवा अध्यक्षात्मक इस विषय पर हुई बहस, उस पर हुए रचनात्मक संवाद व उससे उभरी समझ का भी विश्लेषण है। केन्द्र और राज्य के सम्बन्धों के मसले को ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है। तृतीय खण्ड में भारत की व्यवस्थापिका, उसके संगठन, कार्यों और उससे जुड़े प्रश्नों को उठाया गया है। भारत के राष्ट्रपति, उनकी शक्तियों और पद के स्वभाव की विस्तार से व्याख्या है। चौथे खण्ड में भारतीय न्याय व्यवस्था की स्वतन्त्रता, शक्तियों और महत्त्व को रेखांकित किया गया है तथा कानून तन्त्र के सुधार पर भी चर्चाएं की गयी हैं। संसदीय व्यवस्था के न्यायिक पहलू पर महत्वपूर्ण बातचीत है। पांचवें खण्ड में भारत के संविधान के उस पक्ष पर चर्चा है जिसके सन्दर्भ सामाजिक बदलाव से जुड़े हैं और जिसे सामाजिक क्रान्ति कहकर सम्बोधित किया गया है। इस खण्ड में रखे गये धार्मिक स्वतन्त्रता और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से जुड़े दस्तावेज़ वर्तमान सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें धर्मान्तरण के संवैधानिक और कानूनी पक्ष की समीक्षा विशेष महत्व रखती है। खासतौर पर नीति निदेशक तत्त्वों के सन्दर्भों में एक व्यापक और अच्छी बहस है। सम्मिलित लेख यह दर्शाते हैं कि भारतीय संविधान एक समृद्ध व सोचा समझा दस्तावेज है।
यह संकलन हिन्दी में प्रामाणिक और स्तरीय सामग्री की आवश्यकता को पूरा करने का एक प्रयास है। इसमें शामिल अधिकांश लेख मूलतः हिन्दी में लिखे गये हैं। यह संकलन कुछ हद तक इन मिथकों को तोड़ने का भी प्रयास है कि हिन्दी में लेखन नहीं हुआ है और जो हुआ वह स्तरीय नहीं है। इन प्रयासों के बाबजूद भी इसमें दो राय नहीं है कि हिन्दी में और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय
सर्वे नम्बर 66, बुरुगुटे विलेज, विक्कनाहल्ली मेन रोड, सरजापुरा, बेंगलुरु, कर्नाटक-562 125
Email: publicationsrapu.edu.in Website: www.azimpremjiuniversity.edu.in

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