Bhasha aur Praudyogiki
इस पुस्तक का लेखन कार्य तकनीकी हिन्दी भाषा के प्रयोग की समस्या के परिप्रेक्ष्य में शोधपरक कार्य के पश्चात् किया गया है। भाषिक और सांस्कृतिक रूप से विभाजित विश्व के विभिन्न देशों में सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में आनेवाली अनेकानेक व्यावहारिक बाधाओं में भाषा की समस्या एक महत्त्वपूर्ण एवं ज्वलन्त समस्या है। भारत जैसे विविधता प्रधान देश में यह समस्या अपनी चरम सीमा पर है। अतः भारत के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास से सरोकार रखने वाले व्यक्ति इसकी ओर आकृष्ट हुए बिना नहीं रह सकते हैं। आज जबकि हम किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हैं तो इस प्रकार के तकनीकी ज्ञान के सार्वजनिक प्रचार-प्रसार में सम्बन्धित देश की जनभाषा के महत्त्व को रेखांकित किए बिना भी नहीं रह सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक का प्रतिपाद्य इसी सोच का प्रतिफल है।