Bhishm Sahani Upanyas Sahitya
भीष्म साहनी : उपन्यास साहित्य -
भीष्म साहनी अनामिल दृष्टि के कथाकार हैं। विवेक द्विवेदी एक युवा कथाकार हैं। वे भीष्म साहनी के कथा संसार में एक सहज पाठक की तरह प्रवेश करते हैं और उससे वापस आते हुए विश्वसनीय वस्तु तत्वों को ग्रहण करते हैं। ये वस्तु तत्व यथार्थ और सघन हैं विवेक द्विवेदी इस सघनता को अपनी सहज संवेदना से छूते हैं। बार-बार कथालोक को छूने की कोशिश में स्वयं वह कथालोक विस्तृत होता जाता है। झरोखे, कड़ियाँ, तमस, बसन्ती, मैयादास की माड़ी और कुन्तो भीष्म साहनी के उपन्यास हैं। इनके अलावा लेखक की सम्भावनाएँ कभी नाटक के द्वारा, कभी कहानी के द्वारा मूर्त होती रहीं। मनुष्य जाति को देश और काल के भीतर जाँचते हुए उसकी असीम स्वतन्त्रता की तलाश में भीष्म जी हर बार एक नयी कृति के रूप में उपस्थित होते रहे। विवेक द्विवेदी ने अपनी शोध प्रक्रिया में इन विभिन्न आयामों को देखने का प्रयत्न किया है। लेखक के कृतित्व से बार-बार साक्षात्कार करने की यह कोशिश समीक्षा के बजाय एक आस्वादन की कथा है। विवेक द्विवेदी का यह प्रथम समीक्षात्मक कर्म है। इसे आलोचक की तरह नहीं, बल्कि एक लेखक की तरह निभाने और अपने को कसने का प्रयास समझना चाहिए। यह पुस्तक भीष्म साहनी के पाठकों को अवलम्ब देते हुए आगे बढ़ती है। इनकी भाषा अशास्त्रीय और रचनात्मक है। एक युवा लेखक के द्वारा किया गया एक अभिनव रूपाकार है यह।
—कमला प्रसाद