Chamber Music
चेम्बर म्यूज़िक -
लिखना एक काम है, एक क्रिया है। इसे करने वाले लेखक। जीवन की कई क्रियाओं में से एक क्रिया है यह हमारा लिखना। इसलिए सबसे स्वाभाविक तो यही है कि जो लिखे वह लेखक कहलाये बस उतनी ही देरी तक, जब तक वह लिखता है। फिर इस तरह लिखने वाला जीवन की शेष अनगिनत क्रियाओं में ऐसा रम जाये, ऐसा खो जाये कि उसे लेखक की तरह पहचानना कठिन हो जाये।
जयशंकर एक ऐसे ही लेखक हैं। जितनी देर वे लिखते हैं, उतनी देर ही वे लेखक हैं। बाकी समय में वे बस जयशंकर हैं। एक छोटी सी जगह में रहते हैं हैं, साधारण से बैंक में काम करते हैं। उनकी इन कहानियों के पात्र, घटनाएँ ठीक उन्हीं की तरह हमारे भी चारों ओर बिखरी पड़ी हैं। पर हम इन पात्रों और घटनाओं के आर-पार नहीं देख पाते। जयशंकर इनके आर-पार देख सकते हैं और फिर वे इनको अपनी कलम से उठाकर हमारे सामने कुछ इस तरह से रख देते हैं कि लो हम भी इनके आर-पार देखने लग जाते हैं!
मराठी में एक शब्द है-साकव। साकव यानी एक में ऐसा छोटा-सा पुल, जिसे गाँव बिना किसी बाहरी मदद के ख़ुद बना लेता है, अपनी छोटी-सी नदी को पार कर बाकी दुनिया से जुड़े रहने के लिए। जयशंकर उस साकव की तरह हैं जो हमें अपने आसपास की, तेज़ी से कटती और दूर होती जा रही दुनिया से फिर से जोड़ देते हैं। साकव के अलावा वे चाहे जब एक ऐसी सीढ़ी भी बन जाते हैं जो दो पीढ़ियों को जोड़ देती है।
जैसे लिखना है एक क्रिया, वैसे ही पढ़ना भी एक क्रिया है जीवन की अनेक क्रियाओं के बीच। जयशंकर की कहानियाँ पढ़ते हुए हम उतनी ही देरी के लिए पाठक बनते हैं और फिर सचमुच बाकी समय उनके पात्रों की तरह ही अपनी और उनकी दुनिया में खो जाते हैं। - अनुपम मिश्र
गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान।