Char Tar
चार तार
चार तार शीर्षक से आधुनिक भारतीय साहित्य के आचार्य पुरुष डॉ. द.रा. बेन्द्रे के कन्नड़ काव्य-संग्रह नाकु तन्ति का यह हिन्दी अनुवाद उनके सम्मानार्थ आयोजित ज्ञानपीठ पुरस्कार समर्पण समारोह का प्रतिफल है। कवि मनीषी बेन्द्र को 1973 का 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' समर्पित किया गया था। उनका यह काव्य-संग्रह भारतीय भाषाओं के 1962-66 के बीच प्रकाशित साहित्य में 'सर्वश्रेष्ठ' की समकक्षता में समादूत हुआ था।
अपनी कविताओं में कवि-द्रष्टा बेन्द्रे ने मुखरित किया है मनुष्य जीवन के सौन्दर्य को और उसके सन्त्रास को, प्रकृति को सुषमा को और मानव-व्यक्तित्व की भव्यता को, कर्नाटक तथा भारत के पुनरुद्भवन को और विश्व के भावी रूपान्तरण को एवं दशाब्दियो के यात्रा-क्रम को और उस संश्लिष्ट संदर्शन को जो मर्मस्थ है सृष्टि में। इन कविताओं में प्रस्तुत किया गया है वर्तमान का व्यंग्यात्मक छविरूप, सांस्कृतिक अतीत और भविष्य का सशक्त प्रतीकों में निष्कर्ष और ऐसे मूल्यों का समर्थन जो स्थायी है और समग्रात्मक।
विषयम्मि की दृष्टि से ही नहीं, अन्यान्य दृष्टियों से भी ये कविताएँ अद्वितीय हैं। व्यक्ति से ब्रह्माण्ड तक सबको इन्होंने समोया हुआ है; काल की राजनीति भी इनमें है और शाश्वत की भी। प्रस्तुत हैं कवि-योगी बेन्द्रे की ये कविताएँ-केवल रसास्वादन के लिए नहीं, मनन और चिन्तन के लिए भी।