Publisher:
Bharatiya Jnanpith

Darshan

In stock
Only %1 left
SKU
9789355186850
Rating:
0%
As low as ₹71.25 Regular Price ₹75.00
Save 5%
"दर्शन - ओ. एन. वी. की कविता भाव-सान्द्रता, अर्थ-गाम्भीर्य और चित्रगीतों की त्रिवेणी है। कवि ने अपनी सघन अनुभूतियों को सक्षम अभिव्यक्ति प्रदान की है और उसके लिए सरस कोमल पद-विन्यास, इतिहास-पुराणों पर आश्रित सघन बिम्ब, भावोत्तेजन में सहायक सादृश्य-मूलक अलंकार, नित्य नूतन प्रतीक, संगीतात्मकता एवं गेयता आदि का सहारा लिया है। उनकी प्रयुक्त पदावली अनायास निकली हुई है। ओ. एन. वी. के प्रतीकों में नयी अर्थवत्ता एवं प्रासंगिकता नयी गरिमा भरती है। अधिकांश प्रतीक प्राकृतिक परिवेश लिए हुए हैं। पतित पद्म, कोरे काग़ज़ पर खिले पुष्प, ग्रामीण पोखरे, मृत जड़ें, आग्नेय पंखोंवाले पक्षी, खिड़की, शार्ङगकपक्षी, किराये का घर, फ़ीनिक्स पक्षी सब के सब जीवन के नाना रूपों, भावों, विसंगतियों के प्रतीक बनकर आते हैं और इनमें से अधिकांश प्रतीक दुरूहता के दोष से मुक्त भी हैं। भाव एवं शिल्प की दृष्टि से कुरुप की कविता मलयालम साहित्य के विकास के क्रम में एक विशेष उपलब्धि है। ऐसे कवि का संकलन प्रकाशित करने में भारतीय ज्ञानपीठ को विशेष प्रसन्नता है। "
ISBN
9789355186850
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
ओ. एन. वी. कुरूप (O.N.V. Kurup )

"ओ. एन. वी. कुरुप - ओ. एन. वी. कुरूप का जन्म चवर (ज़िला कोल्लम्, केरल) 27 मई, 1937 को हुआ था। केरल में उच्च शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न महाविद्यालयों में 30 वर्ष तक अध्यापक एवं आचार्य पद पर कार्य करने के बाद 1986 में सेवानिवृत्त हुए। प्राध्यापक होते हुए भी कुरुप मूलतः कवि हैं। उन्हें केन्द्रीय एवं केरल साहित्य अकादेमियों के पुरस्कारों के अतिरिक्त कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 1987 के युगोस्लाविया में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय काव्योत्सव में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। अनुवाद - एन० पी० कुट्टन पिल्लै 29 अगस्त, 1935 को तट्टयिल (केरल) में जन्मे एन. पी. कुट्टन पिल्लै मलयालम एवं हिन्दी के जाने-माने विद्वान हैं। एषुत्तच्छन् के 'अध्यात्मरामायण' के हिन्दी अनुवाद के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया है। सन्त कबीर के अतिरिक्त हिन्दी के छायावादी कवियों पर उनका गहन व विस्तृत अध्ययन है। इस विषय पर उनके कई ग्रन्थ चर्चित हुए हैं। "

Write Your Own Review
You're reviewing:Darshan
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/