Das Vishishta Kavi
दस विशिष्ट कवि -
'कवि' के दस विशिष्ट कवि कविता के बदलाव के जीवित तथ्य यानी बिम्ब थे। स्व. रामविलास शर्मा की हठवादिता के बावजूद नयी कविता की प्रगतिशील धारा के कवि हैं— मुक्तिबोध, शमशेर, त्रिलोचन, नागार्जुन, नामवर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल, भवानी प्रसाद मिश्र, केदारनाथ सिंह, दुष्यंत कुमार, रामदरश मिश्र और कीर्ति चौधरी यही आज—1957 से 2005 तक का मार्क्सवाद और लोकायतदर्शन की बुनियादी कहानी है, इतिहास है। 'अस्तित्ववाद' की चीरफाड़ करने के पहले यदि डॉ. रामविलास शर्मा ने सिर्फ दस विशिष्ट कवियों की कविताओं के साथ विष्णुचंद्र शर्मा, केदारनाथ सिंह, नामवर सिंह, त्रिलोचन, चंद्रबली सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी और रामअवध द्विवेदी की टिप्पणियों पर भी ग़ौर किया होता तो अपनी भूलों का इतिहास ज़रूर लिखते। यह बदलती हुई कविता बनावट को इसी तरह 'कवि' के ज़रिये देख सकते हैं, मार्क्सवादी आलोचक। 'कवि' का सफ़र बहुत लम्बा भले ही न रहा हो, लेकिन उसने इस बीच कई उल्लेखनीय काम कर यह साबित कर दिया। कि भले ही सरकारी और सांस्थानिक सहयोग पत्रिका के साथ न रहे, यह सम्पादक में समर्पण और इच्छा शक्ति है तो पत्रिका का अपना पाठक वर्ग बन सकता है। कवि-कथाकार और व्यावहारिक समीक्षा के विशेषज्ञ विष्णुचंद्र शर्मा ने यह अर्धशती पूर्व सच कर दिखाया था।
—महेश दर्पण
'कवि' के प्रकाशन के समय मुक्तिबोध कवि रूप में जाने तो ज़रूर जाते थे लेकिन उस रूप में नहीं जैसा कि आज जाने जाते हैं। उन्हें विशिष्ट कवि के रूप में प्रस्तुत करके 'कवि' ने अपनी अचूक विवेचना क्षमता का परिचय दिया था।
—विश्वनाथ त्रिपाठी
विष्णुचंद्र शर्मा ने आज से सैंतालिस-अड़तालिस साल पहले वाराणसी के काल भैरव से कविता मासिक 'कवि' का जो प्रकाशन शुरू किया था, वह ऐतिहासिक महत्त्व रखता है।
—रजत कृष्ण