Deh Ki Keemat
देह की कीमत - तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों पर एक दृष्टि -
मित्रवर तेजेन्द्र शर्मा के लेखन को मैं काफ़ी ध्यान से देखता रहा हूँ। तेजेन्द्र ने कहानी विधा पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है। उनके दो कहानी संग्रह 'काला सागर' और 'ढिबरी टाईट' निकल चुके हैं। 'देह की कीमत' उनका तीसरा कहानी संग्रह है। शुरू से ही मेरा यह ख़्याल रहा है कि तेजेन्द्र को कई दृष्टियों से एक अनोखा अनुभव संसार मिला है। एक तो हवाई जहाज़ की नौकरी है जो निरन्तर नये-नये हालात और चरित्रों को उनके सम्पर्क में लाती है। व्यक्तिगत जीवन में पत्नी के कैंसर से पीड़ित होकर साथ छोड़ जाना भी एक त्रासद अनुभव संसार का निर्माण करता है। 'देह की कीमत' और 'कैंसर' जैसी कहानियाँ इसी अनुभव संसार की देन हैं। लेकिन इन कहानियों की उपलब्धि मात्र यह नहीं है कि वे कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को पेश करती हैं। आर्थिक और सामाजिक विषमता या विद्रूपता के जिस परिप्रेक्ष्य को लेखक ने अपनाया है, वही इन कहानियों को उल्लेखनीय बना देता है। 'रेत का घरौंदा' भी इसी तरह की एक कहानी है। इन कहानियों के लिए लेखक को बधाई!
सभी कहानियों पर चर्चा करना यहाँ सम्भव नहीं है। निश्चय ही तेजेन्द्र की कुछ कहानियाँ बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ती हैं, लेकिन कुछ अन्य कहानियाँ उतना अच्छा प्रभाव नहीं छोड़तीं।
तेजेन्द्र के भावी लेखन के लिए मैं फिर एक बार अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। चाहता हूँ कि वे अपने प्रयास इसी तरह जारी रखें। -जगदम्बा प्रसाद दीक्षित
Publication | Vani Prakashan |
---|