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Dhai Aakhar Prem Ke

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"ढाई आखर प्रेम के - भावभीनी चित्रात्मक, साथ ही परिनिष्ठित शैली में गद्य लिखने की पुष्पा भारती की क्षमता अद्वितीय है। उनकी लिखी पुस्तकें आद्योपान्त पढ़कर जो अनुभूति होती है, वह हृदय से बधाई देने को बाध्य करती है।—हरिवंश राय बच्चन मैं मन्त्रमुग्ध-सा पुष्पा भारती की लेखनीय की ज्योतिर्मयता पर अभिभूत हो उठा हूँ।—शिवमंगल सिंह 'सुमन' कथाएँ पढ़कर मन हराभरा हो जाता है। कई बार आँखें छलक आती हैं। लेखिका के प्राण बहुत तरल हैं, वही तरलता पाठक के प्राणों को भी छलका देती है। मैं तो इसे प्रभु का वरदान ही मानता हूँ।—भारतभूषण अग्रवाल सहज सरल भाषा में जो चित्र उकेरे हैं वे मन और मस्तिष्क दोनों पर सहज ही अंकित हो जाते हैं। सारे के सारे लेख लीक से हटकर हैं। उनमें कहानी का रस भी है और कहीं-कहीं कविता की चिरमयता भी—जो अन्तर में गहरे अंकित हो जाती है, और कथाओं में वर्णित सभी पात्रों के अन्तर की धड़कनें भी सुनायी देने लगती हैं।—विष्णु प्रभाकर पुष्पा जी की भाषा में एक ऐसी रवानगी है कि ठोस से ठोस विषय भी पिघल कर दरिया-सा आँखों के आगे लहराने लगता है। और शैली में तो काव्यात्मकता इतनी अधिक है कि ऐसा अहसास होता है जैसे हम किसी रेशमी नज़्म को सुन रहे हों।—प्रकाश द्विवेदी "
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पुष्पा भारती (Pushpa Bharati )

"पुष्पा भारती - 11 जून, 1935 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में जन्म। 1955 में प्रयाग विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.। शोधकार्य बीच में ही छोड़कर 1956 से कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्रीशिक्षायतन कॉलेज में कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य। प्रकाशित पुस्तकें: 'रोमांचक सत्यकथाएँ' (दो भागों में), 'शुभागता', 'प्रेम पियाला जिन पिया', 'रोचक राजनीति', 'ढाई आखर प्रेम के', 'सरस संवाद', 'सफ़र सुहाने', 'अमिताभ आख्यान' आदि पुस्तकों के अलावा लगभग बीस पुस्तकों का सम्पादन, जिनमें प्रमुख हैं—'आधुनिक साहित्य बोध', 'हिन्दी के तीन उपन्यास', 'कुछ लम्बी कविताएँ', 'आद्यन्त', 'अक्षर अक्षर यज्ञ', 'धर्मवीर भारती से साक्षात्कार', 'मेरी वाणी ग़ैरिक वसना', 'साँस की क़लम से' और ‘धर्मवीर भारती की साहित्य साधना'। पुरस्कार/सम्मान: रा. पा. पुरस्कार (मीडिया का सर्वाधिक सम्मानित पुरस्कार), भारती गौरव (भारती पुरस्कार परिषद्), स्वजन साहित्य सम्मान, सारस्वत सम्मान (आशीर्वाद संस्थान), उत्तर साहित्य श्री सम्मान, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी सम्मान, हिन्दी सेवा सम्मान (मालवा मंच, उज्जैन), चराग़ै-दैर (ग़ालिब अकादमी, बनारस)। "

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