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Bharatiya Jnanpith

Dhoomabh Digant

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9789355186867
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"धूमाभ दिगन्त - मनोज दास ओड़िया के अग्रणी कथाकार हैं। कहानी के क्षेत्र में इन्होंने विशेष ख्याति अर्जित की है। भिन्न-भिन्न परिस्थितियों और पात्रों को लेकर लिखी गयी इनकी कहानियों में अनूठा स्वरूप वैविध्य है। जहाँ एक ओर देहात के रीति-रिवाज, दारिद्रय और दयनीयता से ओड़िया का ग्राम्य जीवन मुखर हुआ है वहीं उनकी अनेकों कहानियों के पात्र कल्पना के परीलोक से अवतरित होते लगते हैं पर संवेदना उनकी भी इसी मिट्टी से जुड़ी हुई मनुष्य जैसी है। कहानी की पृष्ठभूमि कैसी भी हो सभी में व्यंग्य-विनोद भरपूर मिलता है। बहुत-सी कहानियों में तो परिस्थितियाँ ही व्यंग्यात्मक बन जाती हैं। प्रस्तुत कृति में मनोज दास की सभी प्रकार की कहानियाँ संकलित हैं। ओड़िया कहानी की नयी धारा को समझने में हिन्दी पाठक इन कहानियों को अत्यन्त उपयोगी पायेंगे, इस विश्वास के साथ मनोज दास की कहानियों का पहला हिन्दी संकलन हिन्दी जगत् को समर्पित है। "
ISBN
9789355186867
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Bharatiya Jnanpith
Author: Manoj Das
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Publication Bharatiya Jnanpith
मनोज दास (Manoj Das)

मनोज दास - आधुनिक साहित्य के क्षेत्र में ओड़िया के अग्रणी कहानीकार मनोज दास (जन्म-1934) को ओड़िया की ही तरह अंग्रेज़ी के कहानी-लेखक के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। प्रख्यात लेखक ग्राहम ने उनके लेखन पर बड़ी प्रशंसात्मक टिप्पणी की है। आधुनिक ओड़िया गद्य-साहित्य के प्रवर्तक फ़क़ीर मोहन सेनापति, सोमदेव, विष्णु शर्मा आदि की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उनके सम्पूर्ण साहित्य का प्रेरणास्रोत वेदोपनिषद् तथा ओड़िया लोककथा की भारतीय सांस्कृतिक धारा है।साहित्य के क्षेत्र में मनोज दास को प्राप्त सम्मानों में प्रमुख हैं—ओड़िया साहित्य अकादमी पुरस्कार (1965), केंद्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1972), सारला सम्मान (1981) तथा विषुव सम्मान (1987)।ओड़िया में इनके चार प्रमुख कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं—कथा ओ कहानी, समुद्रर क्षुधा, लक्ष्मीर अभिसार, दुर-दुरान्तर।

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