Dhuan Aur Cheekhein

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धुआँ और चीखें - 
हिन्दी के चर्चित कथाकार दामोदर दत्त दीक्षित का पाठक के मन मस्तिष्क पर ज़बरदस्त प्रभाव डालनेवाला उपन्यास है 'धुआँ और चीखें'। इसमें यों तो कथा-भूमि के रूप में पाकिस्तान के जन्म से लेकर बांग्लादेश युद्ध और युद्धबन्दियों की वापसी तक की कालावधि का वर्णन है, पर दरअसल इस कृति में उन सभी सत्तालोलुप शासकों और अफ़सरशाहों के क्रूर एवं अधम हथकण्डों, शतरंजी चालों तथा सामन्तवाद को खाद-पानी देती व्यवस्था के धूमावृत परिदृश्य को रचनेवालों का बख़ूबी अंकन है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष फ़ौजी हुकूमत की विडम्बनापूर्ण स्थितियों में आम जनता, नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों के संघर्ष का जैसा मर्मस्पर्शी चित्रण इस उपन्यास में हुआ है। वह स्वाधीनता की कामना और मानव अधिकारों को बल पहुँचाता है।
कदाचित् अपने विषय के हिन्दी के इस पहले उपन्यास में कथाकार ने इस्लामी संस्कारों, मान्यताओं, स्थानीय परम्पराओं, क़बीलाई संस्कृति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमियों की प्रामाणिक जानकारी देने का प्रयास किया है। कहावतों के सफल प्रयोग और मुहावरेदार भाषा से कथानक का परिवेश जीवन्त हो उठा है।
यद्यपि उपन्यास का मूल स्वर राजनीतिक है, पर वास्तव में पीड़ित मानवता के प्रति गहरी करुणा इसका कथ्य है। जनजीवन के हर्ष-विषाद, संघर्ष भीरुता, अग्रगामिता-प्रतिगामिता, संस्कृति अपसंस्कृति आदि की झलकियों से एक परिवेश की समूची एवं विश्वसनीय तस्वीर उभरती है जो उपन्यास 'धुआँ और चीखें' को विशिष्ट कालखण्ड की प्रतिनिधि कृति बना देती है।

ISBN
8126311061
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