Doosra Mangalsutra

In stock
Only %1 left
SKU
9788119014866
Rating:
0%
As low as ₹332.50 Regular Price ₹350.00
Save 5%

उदीयमान कथाकार : देवकी भट्ट नायक 'दीपा' इक्कीस कहानियों के संग्रह का नामकरण करते हुए दीपा ने 'दूसरा मंगलसूत्र' शीर्षक देकर समस्त संग्रहित कहानियों का निष्कर्ष दिया है। मेरे विचार से सभी कहानियों की कथावस्तु स्त्री पात्रों के परिगत वृत्त पर केन्द्रित है। कहानी - दूसरा मंगलसूत्र स्त्री - पात्र की नाभिकीय पीड़ा की अभिव्यक्ति का स्मारक तो है ही साथ में हमें विश्व प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचन्द के अपूर्ण उपन्यास मंगलसूत्र का सन्दर्भ भी अनायास देती है दरअसल कथा सम्राट प्रेमचन्द से ही इस आधुनिक हिन्दी कथा जगत की शुरुआत है।स्त्री कथाकारों के दो प्रकार हैं एक तो वे जो आस-पड़ोस में सम्बद्ध कथावस्तु सुनकर या पढ़कर अपने कथा क्रम को चुन-चुन लेती हैं और अपनी शोक संवेदना से सम्पुटित कर देशज मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग कर कथा को लोकप्रिय दर्जा योग्य बना लेती हैं। कई बार वह कथा पुरस्करण योग्य भी बन जाती है। किन्तु दूसरे प्रकार की कथाकार वे हैं जिन्होंने परिवार या दाम्पत्य विभाजन की पीड़ा स्वयं भोगी है और निम्न मध्यम वर्ग की स्त्री पीड़ा को निजता से अनुभवजन्य सरोकारों के प्रतिफलन से कथाकार बनी हैं। मैं समझता हूँ कि दीपाजी दूसरे प्रकार की कथाकार हैं। उनकी सभी कहानियाँ स्त्री जीवन के करुणा पक्ष को ही उद्घाटित करती हैं। पुरुष मानसिकता वाले समाज के स्वाथी दोगले चरित्र की परतें खोलती हैं। दीपाजी कविता भी लिखती हैं उनकी कहानी कला का यह भी एक रूप है कि उनके अनेक दृश्य, संवाद, गद्य काव्य का आनन्द देते हैं। उदीयमान कथाकार दीपा के प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ पाठकवृन्द के मध्य समादृत होंगी इसी मांगलिक आश्वस्ति के साथ ।- टीकाराम त्रिपाठीवरिष्ठ साहित्यकाररमझिरिया, शिवाजी वार्ड, सागर (म.प्र.) 

܀܀܀

विवशताओं से मुक्ति का सपना -संग्रह की ज़्यादातर कहानियों में मध्य व निम्नवर्गीय गरीब परिवार की कामकाजी नारियों, इन्हीं परिवारों के दूसरों के घरों में मज़दूरी करते बच्चों, बालिकाओं एवं नौकरी करती महिलाओं को रोज़ पड़ने वाली अड़ंगेबाज़ी, मुसीबतों एवं उनसे जूझते इन चरित्रों का आख्यान है। कुछ कहानियों में इनके स्त्री पात्र पुरुष सत्तात्मक, वर्चस्व को तोड़ते हैं तथा स्त्रियों के अन्दर जीवटता बनती है। ये कहानियाँ अपने सहज, सरल वितान के अन्दर मानवीय सरोकारों एवं स्त्री विमर्श के अनेक प्रश्न खड़े करते हुए पाठक के अन्तर्मन को झकझोरती हैं एवं नारी की विवशता पर सोचने को बाध्य करती हैं। कथा एवं शिल्प की दृष्टि से ये कहानियाँ भाव एवं विचार प्रवणता के लिए रोचक एवं बोधगम्य हैं तथा कथाकार के सार्थक एवं समर्थ भविष्य के प्रति हमें आश्वस्ति प्रदान करती हैं।- महेन्द्र सिंह आलोचक एवं कवि भोपाल (म.प्र.)

ISBN
9788119014866
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Doosra Mangalsutra
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/