Ek Sher Arz Kiya Hai : Sanklan-200
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"यह जो संकलन इस समय आपके हाथों में है इसमें 101वें मुशायरे से लेकर 200वें मुशायरे तक हमारे सदस्यों द्वारा कुछ तरही मिसरों पर कही गयी चुनिंदा ग़ज़लें शामिल हैं। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि एक तरही मिसरे पर आपको अलग-अलग सदस्यों के अलग-अलग रंगों के सैकड़ों शे'र एक ही जगह मिलेंगे ।
-अनिमेष शर्मा 'आतिश' ग़ाज़ियाबाद (उ.प्र.), भारत
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इस ग़ज़ल संग्रह के एक ही मिसरे पर कही गयी ग़ज़लों में विभिन्न रचनाकारों के खयालात की विविधता इसे अतिरिक्त विशिष्टता प्रदान करती है। मैं इसका हिस्सा बनकर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ एवं इस भागीरथ प्रयास के लिए श्री अशोक सिंह जी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ देता हूँ।
-अनमोल शुक्ल 'अनमोल' ज्ञान सदन, हरदोई (उ.प्र.), भारत
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बहुत खुशी है कि एक तवील सफ़र तय करते हुए अब हम उस महत्त्वपूर्ण पड़ाव पर आ पहुँचे हैं जहाँ एक नये ग़ज़ल-संस्करण की सरगोशियाँ महसूस हो रही हैं जिसमें बहुराष्ट्रीय ग़ज़लगो शामिल हो रहे है अपनी तरही ग़ज़लों के साथ ।
-डॉ. पूनम माटिया दिल्ली, भारत
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...और सच तो ये है कि पिछले कुछ महीनों में ग़ज़ल के नाम पर जो कुछ भी लिख पाया हूँ, उसमें एक शे'र अर्ज़ किया है का बहुत बड़ा योगदान है। यह पटल और इसका दायरा, जैसे भी हो, आपको कुछ नया कहने, कुछ नया लिखने के लिए बाध्य करता है और इस मानी में यह किसी अन्तरराष्ट्रीय स्कूल से कम नहीं ।
- मनोज अबोध ग्रेटर नोएडा, भारत"
ISBN
9788119353408