Fransisi Premi Taslima Nasrin
नीला 'प्रेम' शब्द दानियल के मुँह से पहले भी सुन चुकी थी-कमरे में। नीला इस शब्द से कभी हाँफी नहीं थी पर अब हाँफ रही थी। नीला को डर था कि जो कोई दानियल के मुँह से 'प्रेम' शब्द सुनेगा वह यही समझेगा कि लड़की समकामी है और यह उसकी साथिन। स्वाभाविक भी है। लड़की का लड़की से प्रेम किस तरह हो सकता है। -नीला की समझ में नहीं आ रहा था कि एक लड़की का दूसरी के साथ संगम कैसे सम्भव है। ऐसा सुख वह स्वयं अपने को दे सकती है- यद्यपि रात को दानियल के बराबर लेटने का पूर्ण सुख उसको मिलता है। दानियल का कहना है कि प्रेमिका का अभाव हो तब वह खुद सुख दे लेती है। सुनकर नीला तो अवाक् । नीला को यौन विषयों पर बड़ी शर्म आती थी। केवल उसे ही क्यों सब भारतीय लड़कियों में होती है। चाहे जो बातें करें, यौन के बारे में कोई बात नहीं होती क्योंकि यह लज्जा का विषय होता है। यह छिपाने का व्यापार है-ढँककर रखने का विषय ।