Gadya Gagan

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"तकनीकी और वैश्वीकरण के इस दौर में जब मानवीय मूल्यों का तेजी से ह्रास हो रहा है, साहित्य की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है। साहित्य हमें मानवीय • मूल्यों के लिए सजग करता है और चीजों और परिस्थितियों को देखने का एक सन्तुलित, सम्यक् दृष्टिकोण प्रदान करता है। भाषा और साहित्य हमारी दृष्टि का परिमार्जन कर इन्हें संवेदनशील बनाते हैं और हम देश और समाज के लिए उपयोगी रचनात्मक और चेतनासम्पन्न व्यक्तित्व में ढल पाते हैं 1 प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक 'गद्य-गगन' का यही प्रयास है कि विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा और साहित्य का ज्ञान देने के साथ ही उनमें जीवनोपयोगी मूल्यों, मानवीय दृष्टि और रचनात्मकता का संचार करे । पुस्तक में हिन्दी साहित्य के कुछ प्रतिनिधि हस्ताक्षरों की महत्त्वपूर्ण रचनाओं का बहुत ही सावधानी से चयन और सम्पादन किया गया है ताकि विद्यार्थियों को जीवन के विविध आयामों से परिचित कराया जा सके तथा उनके स्वविवेक और उचित निर्णय लेने की क्षमता को विकसित किया जा सके । पुस्तक में काका कालेलकर, मनोहर श्याम जोशी, मनीषा कुलश्रेष्ठ, रामवृक्ष बेनीपुरी, सुधीश पचौरी, चित्रा मुद्गल, प्रदीप पन्त, भगवतीचरण वर्मा जैसे कई कालजयी एवं आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं को संकलित किया गया है जो छात्रों को सम्यक्, सन्तुलित और रचनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करने में सक्षम होंगी। कालिकट विश्वविद्यालय, बी.कॉम. प्रथम सेमेस्टर के लिए संकलित एवं सम्पादित यह पुस्तक कालिकट विश्वविद्यालय के हिन्दी अध्ययन मण्डल के अनुभवी एवं सजग विद्वानों द्वारा बहुत ही परिश्रम से तैयार की गयी है । पाठ्य पुस्तक को सुरुचिपूर्ण एवं शुद्ध रूप से प्रस्तुत करने का कार्य वाणी प्रकाशन द्वारा किया गया है। वाणी प्रकाशन की सम्पादकीय टीम का बहुत आभार । - हिन्दी अध्ययन मण्डल कालिकट विश्वविद्यालय, कालिकट "
ISBN
9789388684873
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