Gyarah Lambi Kahaniyan
ग्यारह लम्बी कहानियाँ -
यह ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात हिन्दी कथाकार निर्मल वर्मा की ग्यारह लम्बी कहानियों का संग्रह है- उनके संग्रहों में सबसे अलग तरह का।
निर्मल जी के ही शब्दों में-
"लम्बी कहानियों के लिए मेरे भीतर कुछ वैसा ही त्रास भरा स्नेह रहा है, जैसा शायद उन माँओं का अपने बच्चों के लिए, जो बिना उसके चाहे लम्बे होते जाते हैं— जबकि उम्र में छोटे ही रहते हैं।... जब से मैंने कहानियाँ लिखना शुरू किया, लम्बी कहानियों की यह दुनिया मुझे बहुत आत्मीय लगती रही है-न तो छोटी कहानियों की तरह बहुत कसी हुई, न ही उपन्यासों की तरह बहुत फैली हुई.. संयम और उन्मुक्तता के इस अद्भुत सम्मिश्रण से एक तरह का लिरिकल सौन्दर्य उत्पन्न होता है, जहाँ शब्द अपनी स्पेस निर्धारित करते हैं... जो बाहर की तरफ न जाती हुई अपने भीतर की तहों को खोलती है। अधिकांश लम्बी कहानियाँ-अक्सर सोचती हुई- सी (रिफ्लेक्टिव) कहानियाँ होती हैं, उनका चेहरा दुनिया की ओर उन्मुख होता हुआ भी आँखें कहीं भीतर झाँकती-सी दिखाई देती हैं। उदास और चिन्तामग्न। मैंने जान-बूझकर लम्बी कहानियाँ नहीं लिखीं-वे मनमाने ढंग से अपने-आप लम्बी होती गयीं..."
भारतीय ज्ञानपीठ की एक गौरवपूर्ण प्रस्तुति है निर्मल वर्मा की यह अनूठी कृति। पाठकों को समर्पित है पुस्तक का एक और नया संस्करण।