Hamare Desh Ke Kaaljayee Vyaktitva

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"यह पुस्तक ताउम्र जीवन के सफ़र में शामिल यादों की दस्तावेज़ है। साहित्य, सिनेमा और राजनीति की महान विभूतियों से जुड़े संस्मरणों में जो युग दर्ज हैं, वो इस तरह कि उन्हें बाँचते अतीत की बात नहीं लगती, लगता है, संगत में जैसे अनसुने निस्वन जी रहे, जी रहे के साथ हो रहे समृद्ध। पुस्तक में साहित्यिक विभूतियों पर लिखे संस्मरण में निराला पर लिखा अद्भुत और गहरी आत्मीयता से भरे अनुभवों का वह लोक है, जो किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का हृदय छू लेगा। लेखिका की निराला से जुड़ी यादें न केवल निराला की महिमामयी शख़्सियत को उकेरती हैं, बल्कि लेखिका के जीवन के उन पलों को भी जीवित करती हैं जो संगीत, कला और संस्कारों से गहरे जुड़े हैं। माखनलाल चतुर्वेदी पर लिखे संस्मरण द्वारा जिस गहरी और संवेदनशील कथा को साझा किया गया है, वह न केवल धर्मवीर भारती के जीवन और संघर्ष को, बल्कि उनकी अन्तरात्मा के जटिल विचारों और संशयों को भी उद्घाटित करती है। महादेवी वर्मा पर संस्मरण एक शिक्षिका के जीवन के महत्त्वपूर्ण मोड़ और उनके साहित्यिक विकास की यात्रा का वर्णन करता है वहीं हरिवंशराय बच्चन वाले संस्मरण में लेखिका ने बच्चन जी की कविताओं के प्रति अपने बचपन और किशोरावस्था की यादें साझा की हैं। अज्ञेय पर संस्मरण दिलचस्प और गहरी साहित्यिक यात्रा का परिचायक है, जो न केवल अज्ञेय और धर्मवीर भारती के साथ लेखिका के व्यक्तिगत अनुभव को छूती है, बल्कि उस समय के साहित्यिक परिवेश को भी रेखांकित करती है। विद्यानिवास मिश्र वाले संस्मरण में साहित्यिक मित्रता, पारिवारिक रिश्ते और गहरे मानवीय सम्बन्धों की अनमोल झलक मिलती है। मराठी कवि विन्दा करन्दीकर पर लिखे संस्मरण में विन्दा जी की जीवन-यात्रा, उनके व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान का विस्तृत वर्णन किया गया है। श्रीलाल शुक्ल पर लेखिका ने जो संस्मरण लिखा है, वह न केवल श्रीलाल जी के लेखन की प्रक्रिया का दिलचस्प उदाहरण है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और रचनात्मकता की भी गहरी झलक प्रदान करता है। धर्मवीर भारती पर लिखा संस्मरण भारती जी और पुष्पा जी के बीच के एक गहरे भावनात्मक अनुभव को उजागर करता है। इसमें लेखिका ने अपनी युवावस्था, पुराने दोस्तों और साहित्यिक जगत् के साथ अपने सम्बन्धों की यादें भी ताज़ा की हैं। दुष्यन्त कुमार पर लिखे संस्मरण में दुष्यन्त कुमार और धर्मवीर भारती के साथ जुड़ी यादों को साझा किया गया है, जो जितना भावनात्मक, उतना ही सजीव। इस पुस्तक में सिनेमा से जुड़ी विभूतियों पर लिखे संस्मरणों में लता मंगेशकर पर लिखा सिर्फ़ लता जी के महान स्वर से जुड़ी नहीं, बल्कि उनकी मनमोहक और दिल से हँसी-मज़ाक़ करने वाली शख़्सियत को भी उजागर करता है। जीते-जी कालजयी होने के बावजूद उनका स्वभाव कितना सरल और निःस्वार्थ था, यह अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। वहीं अभिनेता अमिताभ बच्चन पर संस्मरण उस समय को रेखांकित करता है, जब अमित जी ने धर्मवीर भारती के जन्मदिन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक सभा में अपनी यादों और विचारों को साझा किया था। उनकी बातें उनके और धर्मवीर भारती के व्यक्तिगत रिश्ते की गहरी समझ को दिखाती हैं। जावेद अख़्तर वाले संस्मरण में उनके जीवन और उनके साहित्यिक सफ़र की एक गहरी और संवेदनशील विवेचना प्रस्तुत की गयी है। इनके अलावा सत्यदेव दुबे और माया गोविन्द पर भी जीवन्त संस्मरण लिखे गये हैं। पुस्तक में आज़ादी और राजनीति से जुड़ी विभूतियों पर भी संस्मरण व लेख लिखे गये हैं। उनमें अटलबिहारी वाजपेयी वाले संस्मरण में लेखिका ने वाजपेयी जी के साथ अपनी जिन यादों को साझा किया है, वे दिल को गहरे छूने वाली हैं। उनके व्यक्तित्व की जो छाप उनके सादगीपूर्ण व्यवहार, स्नेह और समझदारी के रूप में लेखिका के जीवन पर पड़ी, वह हमें उनके व्यक्तित्व का एक नया आयाम समझने का अवसर देती है। इनके अलावा सुभाष चन्द्र बोस, जयप्रकाश नारायण, आर. वेंकटरमन पर भी लिखा हुआ अनमोल उपलब्धि की तरह है। कुल मिलाकर यह पुस्तक यादों की दस्तावेज़ तो है ही, हर एक पाठक के लिए दुर्लभ थाती भी है। "
ISBN
9789362872357
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