Hamare Lokpriya Geetkar : Dushyant Kumar

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9789352291328
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हिन्दी कविता में ऐसा बहुत-बहुत कम हुआ है कि कोई रचनाकार अपने लेखन की शुरूआत गीतों से करे, फिर नयी कविता लिखने की दिशा में मुड़ जाये और युगीन आकांक्षाओं, विडंबनाओं और मनःस्थितियों का चित्रण करके विपुल यश अर्जित करने के बाद पुनः गीत की एक शैली ग़ज़ल कहते हुए सफलता के शिखरों का स्पर्श करके सारे परिदृश्य की सूरत ही बदल डाले। दुष्यन्त कुमार ने कुछ ऐसा ही हंगामा खड़ा करके सम्पूर्ण साहित्य जगत को चौंका दिया। पहले पहल दुष्यन्त ने ‘धर्मयुग’ एवं ‘सारिका’ के माध्यम से अपनी ग़ज़लों में युगीन तड़प का अंकल किया और कविता के सामान्य एवं प्रबुद्ध पाठकों को चकित और विस्मित भी किया।

ISBN
9789352291328
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