Publisher:
Vani Prakashan

Hamein Bahut Sare Phool Chahiye

In stock
Only %1 left
SKU
Hamein Bahut Sare Phool Chahiye
Rating:
0%
As low as ₹280.25 Regular Price ₹295.00
Save 5%

पाश और अफ़ज़ाल अहमद सैयद की कविताओं को छापना 'पहल' के लिए सही अर्थों में प्रकाशित करना हुआ था। लगभग तीन दशक पहले अफ़ज़ाल की कविता को लेकर हिन्दी समाजों में एक अँधेरा जैसा था, बावजूद इसके कि उर्दू ग़ज़ल की जानकारी, लोकप्रियता और आस्वाद भरपूर था। उर्दू समाज में भी अफ़ज़ाल की शायरी को लेकर उदासीनता थी, लगभग उन्हें कमतर आँकने वाली उपेक्षा के साथ। पर समय बदलता गया और न्यायोचित आलोचना ने उनका क़द बढ़ाया और स्वीकृति दी। अफ़ज़ाल अहमद के छपने से 'पहल' की दुनिया को अप्रतिम विस्तार मिला, पाठकों ने स्वागत किया और ख़ुशी ज़ाहिर की। वास्तव में अफ़ज़ाल अहमद सैयद की शायरी को हम उर्दू की नयी कविता भी कह सकते हैं जिसके लिए हिन्दी का पाठक बरसों पहले से तैयार था। ‘पहल' के पाठकों ने अफ़ज़ाल की शायरी के अंशों के पोस्टर बनाये, बार-बार उद्धृत किया और सार्वजनिक दीवारों पर चिपकाया। यह एक ताज़ा हवा और उत्तेजना थी। उर्दू की पारम्परिक दुनिया में अफ़ज़ाल पर नुक्ताचीनी करने वाले लोग काफ़ी थे, पर बड़े रचनाकार इसी के मध्य अग्रसर होते हैं। लगभग एक अराजक विचारक की तरह अफ़ज़ाल प्रकट होते हैं। उनकी न तो कोई पारम्परिक विचारधारा थी और न ही समकालीन पर वे मौलिक और जनता के कवि हुए। यूँ उर्दू में नज़्मों का पुराना समय भी काफ़ी जनवादी रहा है। अफ़ज़ाल अहमद की नज़्मों ने अपना नया मुहावरा बनाया है, वे रूमान को तोड़ती हैं, नया रूमान बनाती हैं, वे पर्याप्त फ़िज़िकल हैं और उनमें जीवन का वर्चस्व है। उसमें गद्य की अनेक मौलिक पंक्तियाँ हैं जो उर्दू के पुराने स्वभाव को बदलती हैं। मैं समझता हँय कि अफ़ज़ाल उर्दू कविता का एक टर्निंग पॉइंट हैं। लगभग तीन दशक बाद अफ़ज़ाल अहमद सैयद की शायरी अधिक समृद्ध होकर पुस्तकाकार आयी है। “शायरी मैंने ईजाद की”—यह कोई घोषणा-पत्र नहीं है। यह वास्तव में एक अन्वेषण है। यह शायर का एक समयानुकूल सांस्कृतिक रीफ्लेक्स है। इसको नये तरह से संयोजित करने में उर्दू के मर्मज्ञ हमारे साथी राजकुमार केसवानी की बड़ी मेहनत शामिल है।

ISBN
Hamein Bahut Sare Phool Chahiye
Publisher:
Vani Prakashan

More Information

More Information
Publication Vani Prakashan

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:Hamein Bahut Sare Phool Chahiye
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/