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Vani Prakashan
Hazaron Hasaraten Wo Hain
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Hazaron Hasaraten Wo Hain
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महाकवि दाग़ ने अपना उपनाम 'दाग' भले ही रख लिया हो, मगर उनकी शायरी में भाँति-भाँति के उज्ज्वल रंगों की उपस्थिति देखते ही बनती है। पिछली लगभग डेढ़ शताब्दी से शायरी की दुनिया में उनकी उपस्थिति उन्हें जन-जन का शायर बनाये हुए शायरों के समकक्ष है। दाग़ देहलवी अपनी बेबाक प्रेमाभिव्यक्तियों के कारण पूरी शताब्दी पर छाये रहे और आज भी उनकी इश्किया शायरी जवान दिलों की धड़कन बनी हुई है। शायरी का शौकीन हो अथवा साहित्य से कोसों दूर सामान्य जीवन जीने वाला कोई इनसान जब भी उसके कानों में दाग़ के अश्आर पड़े हैं, अक्सर झूम-झूम गया है और दाग का नाम जाने बग़ैर उनके शेरों का मुरीद बन गया है।
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Hazaron Hasaraten Wo Hain
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