Hindi Alochana Ka Swatva

In stock
Only %1 left
SKU
9789326350631
Rating:
0%
As low as ₹171.00 Regular Price ₹180.00
Save 5%
"हिन्दी आलोचना का स्वत्व - हिन्दी आलोचना को लेकर अनेक प्रकार की बातें कही जा रही हैं जिनका निष्कर्ष यह निकलता है कि वह संकट के दौर से गुज़र रही है। संकट है, पर यह संकट आलोचना का कम, युग के दबावों का ज़्यादा है। यह संकट धारणाओं और विमर्शों के टकरावों को संकट है, मगर इस संकट के बावजूद आज हिन्दी आलोचना देशीयता और वैश्विकता के बीच संवाद बनाते हुए अपनी एक ख़ुद की पहचान रखती है। निर्विवाद रूप से इसमें आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, भले ही उनके निष्कर्षों को लेकर विवाद होते रहे हैं और भारतीय स्वतन्त्रता के बाद की आलोचना शिविरों में बँट गयी, मगर इससे आचार्य शुक्ल का ऐतिहासिक महत्त्व कम नहीं होता और न ही इससे यह समझा जाय कि आज हिन्दी आलोचना कुछ हीन स्थिति में है। आचार्य शुक्ल ने पहली बार हिन्दी आलोचना को संस्कृत काव्यशास्त्र और पाश्चात्य आलोचना, दोनों के प्रभावों से मुक्त करके उसकी एक निजी पहचान क़ायम की। अजय वर्मा की यह पुस्तक हिन्दी आलोचना की इसी निजी पहचान की तलाश आज के सन्दर्भ में करती है। इसके लिए इन्होंने इसके पूरे ऐतिहासिक विकास क्रम का विश्लेषण करते हुए आज की धारणाओं और विमर्शों के टकराव के जटिल दौर में उसकी दशा और दिशा पर विचार किया है। लेखक इस पुस्तक में न सिर्फ़ ब्योरे प्रस्तुत करता है बल्कि पूरी पुस्तक में वह बहस करता दिखलाई देता है। हिन्दी आलोचना में विवाद के जितने भी पुराने और नये मुद्दे हैं, उन सबको वह प्रश्नों के दायरे में लाता है और आज के सन्दर्भ में उनकी प्रासंगिकता पर भी विचार करता है। "
ISBN
9789326350631
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Alochana Ka Swatva
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/