Hindi Bhasha Ki Parampara Prayog Aur Sambhavnayen
In stock
Only %1 left
SKU
9789389563389
As low as
₹470.25
Regular Price
₹495.00
Save 5%
आज भारत का एक बड़ा भू-भाग हिन्दीभाषी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि प्रदेशों में हिन्दी ही जनभाषा है। मुम्बई और कोलकाता जैसे महानगरों में हिन्दीभाषी जन बहुत बड़ी संख्या में हैं। देश के अन्य प्रदेशों में भी हिन्दी को समझने वालों की संख्या बहुत बड़ी है और वहाँ के साहित्यकारों ने हिन्दी के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई है। ब्रज, भोजपुरी, अवधी, कुमाऊँनी, हरियाणवी, राजस्थानी, दक्खिनी, छत्तीसगढ़ी, निमाड़ी जैसी अनेक लोक या जनभाषाओं के साथ हिन्दी के अनेक रूप विकसित होते रहे हैं। इन सबमें रचे साहित्य से हिन्दी सतत समृद्ध हुई है। आज उसका औपचारिक रूप जो खड़ी बोली के रूप में मिलता है वह डेढ़ शताब्दी की देन है। भारत के बाहर रहने वाले भारतवंशियों में भी हिन्दी प्रचलित है। सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरिशस, फिजी, दक्षिण अफ्रीका और गुयाना आदि देशों में हिन्दी का विस्तार हुआ। विदेश के अनेक विश्वविद्यालय अपने यहाँ हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन और शोध कर रहे हैं। मीडिया और विज्ञापनों के क्षेत्र में हिन्दी का प्रसार हुआ है और हिन्दी फ़िल्मों ने पूरे देश में धूम मचा रखी है। संगीत और कला के अन्य क्षेत्रों में भी हिन्दी का महत्त्व सर्वविदित है। बाज़ार के क्षेत्र में भी हिन्दी की उपस्थिति उल्लेखनीय रूप से दर्ज की जा रही है। हिन्दी का क्षितिज निश्चय ही विस्तृत हुआ है।
ISBN
9789389563389