Hindi Ghazal : Vyapakta Aur Vistar

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9789369444045
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"ज्ञानप्रकाश विवेक प्रयोगधर्मी रचनाकार और ग़ज़ल आलोचक हैं। इस पुस्तक में उन्होंने परम्परागत आलोचना से भिन्न एक नया ‘आलोचना मिज़ाज' स्थापित किया है। नये ग़ज़ल आलोचना के उपकरण और नयी दृष्टि ईजाद की है । उन्होंने नये विमर्शों के ज़रिये, हिन्दी ग़ज़ल का न सिर्फ़ आकलन किया है बल्कि नये विमर्शों की समझ और सलाहियत भी अनूठे अन्दाज़ में व्यक्त की है। इस नयी आलोचकीय दृष्टि ने, हिन्दी ग़ज़ल को, बिल्कुल मुख्तलिफ़ अन्दाज़ में, देखने, परखने और महसूस करने का अवसर प्रदान किया है। बदलता हुआ समय और समाज चर्चा तलब है तो नये विमर्श भी चर्चा के केन्द्र में हैं। कहानी, उपन्यास और कविता को नये विमर्शों ने बहस तलब बनाया है तो हिन्दी ग़ज़ल भी बहस के केन्द्र में है। और नयी ग़ज़ल आलोचना, जिसके उपकरण ज्ञानप्रकाश ने तैयार किये हैं, हिन्दी ग़ज़ल को नयी शक्ति और संचेतना प्रदान करते हैं। अन्य भाषाओं में लिखी जा रही ग़ज़लों पर भी इस पुस्तक में संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित चर्चा है। हिन्दी ग़ज़ल पर यह अद्भुत, बल्कि चकित कर देनेवाली आलोचना पुस्तक है जो नयी ‘आलोचना भाषा' और शैली में लिखी गयी है। "
ISBN
9789369444045
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