Hindi Vakyavigyan
In stock
Only %1 left
SKU
9789389915143
As low as
₹660.25
Regular Price
₹695.00
Save 5%
भावों और विचारों की अभिव्यक्ति में सामान्य रूप से एकाधिक वाक्यों की सहायता ली जाती है। कभी-कभी एक वाक्य में संपुटित भाव या विचार का ही पल्लवन आगे के वाक्यों में किया जाता है। पाठ का स्वरूप जो भी हो, पाठ में प्रयुक्त वाक्य परस्पर जुड़े होते हैं। भले प्रकट रूप में संयोजकों का प्रयोग पाठ में न हुआ हो तो भी केवल अर्थबल से ही वाक्यों के परस्पर सम्बन्ध प्रतीत होते हैं। संयोजक इन संबंधों को केवल योतित करते हैं। ये कोई नया संबंध या अर्थ पैदा नहीं करते। संयोजकों पर विचार करते समय तर्कशास्त्र के वाक्य कलन की अवधारणाओं का भी उपयोग किया गया है। समानाधिकरण तथा व्यधिकरण संबंधों की अस्थिरता की ओर संकेत किया गया है। इसके साथ संयोजकों के परस्पर साम्य एवं वैषम्य पर भी विचार किया गया है।
ISBN
9789389915143