Jatiya Manobhoomi Ki Talash
In stock
Only %1 left
SKU
8126311223
As low as
₹137.75
Regular Price
₹145.00
Save 5%
"जातीय मनोभूमि की तलाश -
'जातीय मनोभूमि की तलाश' आलोचना-संग्रह में रचना के भीतर अलोचक की अपनी भी तलाश है। नयी पुरानी कृतियों से संवाद की आतुरता आत्म को तजकर नहीं हो सकती। इस वेदना विकलता को सिर्फ़ भावक या अभिवावक के हवाले नहीं किया जा सकता। अतीत की गरिमा के सवाल सदैव उन्हीं के मन में नहीं उठते जो पुनरुत्थानवादी हैं या गड़े मुर्दे उखाड़ने में लगे रहते हैं। बल्कि यह उन लोगों की भी निरन्तर चिन्ता है जो जातीय अस्मिता की संकट की घड़ी में सतर्क और सार्थक मनोभूमि की तलाश करना चाहते हैं। रेवती रमण का मानना है कि समीक्षक स्वभाववश अन्य के अँधेरे में ख़ास दिलचस्पी रखते रहे हैं। ज़ाहिर है इस प्रकार के कई आलेखों में उन्होंने यह काम बख़ूबी किया है। अतीत का विश्लेषण उन्होंने सिर्फ़ भावुकता के तहत नहीं किया, बल्कि उसमें सार्थकता तलाशने की कोशिश की है।
आदान-प्रदान में आस्था के बावजूद, जब एक अनुभूति दूसरी अनुभूति से टकराती है तो आलोचना की भाषा में एक ख़ास तरह की चमक आ जाती है। यानी आलोचक के लिए बौद्धिक सवालों के साथ ही संवेदनात्मक रूप भी महत्त्व रखता है। रेवती रमण के इन आलोचनात्मक निबन्धों में भाषिक विशिष्टता की यह चमक और समृद्धि देखी जा सकती है।
रेवती रमण के ये आलेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर अक्सर चर्चित रहे हैं। इन्हें यहाँ एक साथ अपनी विविधता और चिन्ता में देखना एक वैचारिक अनुभव से गुज़रना है।
"
ISBN
8126311223