Kaalkhand
कालखण्ड -
ज्ञानप्रकाश विवेक ऐसे संजीदा, शाइस्ता और नये समय पर पैनी नज़र रखनेवाले कथाकार हैं जो पिछले पैंतीस वर्षों से कहानियाँ लिख रहे हैं। उनके पास कहानी की समृद्ध कला और अनुभवों का सरमाया है। उन्होंने न सिर्फ़ कहानी को कलात्मक ऊँचाई प्रदान की है बल्कि ऐसी नयी कथा भाषा का भी सृजन किया है जो संवेदन लय से भरपूर है। जिसमें जीवन राग है और दरिया की रवानी। इस नयी कथा भाषा ने ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियों को न सिर्फ़ वैभवशाली कहानीपन दिया है बल्कि नये समय के नये यथार्थ की चुनौती, हलचल, बेचैनी, व्याकुलता, आवेग और जिज्ञासाओं के लिए भी नुकीले दृष्टिबोध की खोज की है।
कालखण्ड संग्रह की कहानियाँ नये समय के नये समाज के बीहड़ में गहरे तक उतरती हैं। यह ऐसा कालखण्ड है जो मनुष्य को सुविधाओं के गैज़ेट्स प्रदान करते हुए अकेलेपन की विडम्बनाएँ भी थमा देता है। इन्हीं विडम्बनाओं की तहरीरें और सम्बन्धों को टूटने-बिखरने की आवाज़ें यहाँ सुनाई पड़ती हैं। बेशक! लेकिन प्रेम और स्मृति की भी माकूल, विनम्र, जज्बाती और अर्थवान जगह है जिसमें कई समयों की गूँज तथा ऐसा ज़ोन ऑफ़ साइलेंस भी है जो भाषा को साँस लेना सिखाता है। भूमंडलीकरण और उपभोक्तावादी दौर के निस्संग समाज की विभिन्न छवियों को उद्घाटित करती ये कहानियाँ, नये सामाजिक मंज़रनामे की बेबाक और बेलौस तहरीर हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण और सार्थक बात, इन कहानियों के सिलसिले में यह है कि क़िस्सागोई शिद्दत के साथ मौजूद है जो कहानियों को पठनीय बनाती है तथा सुबहदमधूप की-सी चमक प्रदान करती है।