Kabir Ke Aalochak
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9788170555469
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"यह पुस्तक कबीर पर मेरी बड़ी योजना का एक हिस्सा है। इसमें मैंने कबीर के ब्राह्मणवादी समीक्षकों को समझना चाहा है। इसमें पता चलता है कि ब्राह्मणवादी समीक्षकों ने कबीर के दर्शन और सामाजिक सन्देश के प्रति तनिक भी सम्मान नहीं बरता । उन्होंने कबीर की नहीं बल्कि कबीर के भीतर रामानन्द ब्राह्मण को बैठाकर उसकी प्रशंसा की है। मूल कबीर से ये सभी बचते हैं। इनकी यह भी कोशिश रही है कि कहीं यह सिद्ध न हो जाये कि कबीर दलितों के किसी पुराने धर्म के प्रचारक या अपने किसी नये धर्म के प्रवर्तक थे। उन सबका उद्देश्य इस सम्भावना पर रोक लगाना है कि हिन्दू धर्म को छोड़कर भारत के दलितों का कोई नया या अलग धर्म भी हो सकता है।
- भूमिका से"
ISBN
9788170555469