Kahan Paaun Use
बांग्ला साहित्य में ‘कालकूट' नाम से विख्यात श्री समरेश बसु उन इने-गिने रचनाकारों में से हैं जो अपने चिन्तन और अपनी साहित्यिक शैली के कारण लाखों पाठकों के मन में बसे हुए हैं। कहाँ पाऊँ उसे उनका ऐसा उपन्यास है जिसे हाथ में लेते ही पाठक पन्ने पर - पन्ने पढ़ता चला जाता है और उसे पता ही नहीं चलता कि किस प्रकार एक दृश्य से अनेक दूसरे दृश्यों तक वह कहानी के जीवन्त वातावरण और पात्रों के रोमांचक मनोजगत् में अपनी चेतना को विसर्जित करता चला गया है। कथा-नायक खोज में है जीवन और जगत् के उस अन्तिम सत्य की, उस चरम उपलब्धि की, जो पग-पग पर अपनी छाया तो छोड़ती चलती है किन्तु पकड़ में नहीं आती। यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती। प्रेम, रोमांस और राग-विराग के इतने अद्भुत पड़ाव साथ-साथ बहती नदी के तट पर आते हैं कि लगता है यहाँ बसे इन पात्रों के बन्धन से नायक मुक्त नहीं हो सकेगा।