Kala Ka Saundarya Sahitya Tatha Anya Kalayen (4 Volume Set)

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कला का सौन्दर्य - खण्ड एक -
थाती का खण्ड १ 'कला का सौन्दर्य' साहित्य तथा अन्य कलाएँ हमारे देश की परम्परा को कई आयामों में दिखाता है। इसी का अनुसरण, अन्वेषण व पुनर्पाठ करने के लिए और उस सांस्कृतिक अवगाहन में भीतर तक जाकर अपनी विरासत को पहचानने के लिए यह पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। यह पुस्तक भारतीय संस्कृति की बुनावट की तरह है जिसमें गणपति के मंगल आह्वान से लेकर देव-पितृ, ऋषि-राक्षस, सन्ध्या-रात्रि, पशु-पक्षी, वनस्पतियों औषधियों, कीड़े-मकौड़ों, नदी-पर्वत, इष्ट-मित्र सभी के प्रति सहृदय होने का भाव छिपा है। पुस्तक कला के उच्च आयामों को प्रेरणा की तरह सुधि पाठकों के सामने लाती है। 
कला का सौन्दर्य - खण्ड दो -
थाती का खण्ड २ 'कला का सौन्दर्य' साहित्य तथा अन्य कलाएँ हमारे देश की कला और साहित्य परम्परा को कई नवीन आयामों में दिखाता है। पुस्तक में साहित्य और कला संसार के कई दिग्गजों ने अपना रचनात्मक योगदान दिया है। यह योगदान भाषा, विचार, सम्प्रेषण और कला की सम्वेदना को एक साथ पाठकों के समक्ष रखता है। थाती का यह अंक अनेक मायनों में महत्वपूर्ण है। यह कला के सान्निध्य के साथ उत्पन्न हुई सहनशीलता के पक्ष में तो खड़ा है लेकिन शक्ति और सत्ता को अस्वीकार करने की विचारधारा रखने वाले रचनाकारों और कलाकारों की सांस्कृतिक उज्जवलता भी दिखाता है। 
कला का सौन्दर्य - खण्ड तीन - 
थाती का खण्ड ३ 'कला का सौन्दर्य' साहित्य तथा अन्य कलाएँ हमारे देश की कला और साहित्य परम्परा को कई नवीन आयामों में दिखाता है और यह भी कि कला का धर्म हर हाल में सर्वश्रेष्ठ है। इस खण्ड में कहानियों, कविताओं और विमर्श के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को पाठकों को सौंपने का प्रयास किया गया है। जिस समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा को हम पोसते हैं उसे धर्म, जाति-प्रथा और किसी अलोकतान्त्रिक वजह से हमें कभी खोना नहीं चाहिए, पुस्तक का यह खण्ड इस विचार के साथ पाठकों के समक्ष आता है।
कला का सौन्दर्य - खण्ड चार -
थाती का खण्ड ४  'कला का सौन्दर्य' साहित्य तथा अन्य कलाएँ हमारे देश की कला और साहित्य परम्परा को उच्च सतरीय सम्प्रेषण द्वारा व्यवस्थित रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत कर रहा है। फिर चाहे वह रज़ा सरीखे चित्रकार का जीवन और कला सम्बन्धी उनके विचार हों या नाग बोडस का उपन्यास अंश हो। कविताओं में क्रान्ति हो या ताज़गी से भरी कहानियाँ हों। कला हर काल और समय में उन्मुक्त ही होती है और रहेगी भी। इस खण्ड में आलोचना और अनुवाद को भी स्थान मिला है। पुस्तक विविध सौन्दर्य को एक साथ समेटे हुए है।

 

ISBN
9788181438881
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