Khuda Ki Kasam (Manto Ab Tak-17)
मण्टो की अधिकांश कहानियों की प्रेरणा या उत्स, उसका यह एहसास है- अत्यन्त प्रामाणिक और सच्चा एहसास - कि इस सारे निज़ाम में कहीं कुछ बहुत ग़लत है- आधारभूत रूप से ग़लत और नाकाबिले बरदाश्त । वह अपनी सारी शक्ति के साथ दर्द और दुख और तकलीफ़ के सही मुकाम पर उँगली रखता है- कि यही उसके निकट, लेखन का उद्देश्य है। मण्टो की यह भावना एक गहरे नैतिक उत्तरदायित्व के एहसास से उपजती है। एक ऐसी व्यवस्था में रहते हुए, जो लगातार मानवीयता को कुचलती है, मण्टो निजी तौर पर, अपने समाज और अपने साथियों के प्रति खुद को उत्तरदायी समझता है और तकलीफ़ के सही मुकाम पर उँगली रखना, उसके नज़दीक, उसके मानवीय फ़र्ज़ की अदायगी है। इसीलिए वह बार-बार उन आधारभूत मसलों की तरफ़ मुड़ता है, जो सहज जिन्दगी के रास्ते में रुकावट बन कर खड़े हैं-राजनीति, साम्प्रदायिकता, झूठ, फ़रेब, स्वार्थ, भ्रष्टाचार, सरमायेदारी, शोषण ।
अपने इसी नैतिक उत्तरदायित्व को महसूस करके, मण्टो हर तरह की साम्प्रदायिकता और फ़िरकेवाराना प्रवृत्ति से ऊपर उठकर उस 'गलती' पर पूरे ज़ोर से आघात करता है, इसीलिए वह तथाकथित 'प्रगतिशील' लेखकों की जमात से कहीं ज़्यादा प्रगतिशील है। चूँकि वह किसी राजनीतिक दल या धार्मिक सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ नहीं है इसीलिए वह चीजों को किसी पर्दे को आड़ से नहीं देखता और अपने अनुभवों तथा अपनी अनुभूतियों को सच के तीखेपन से खुली अभिव्यक्ति देता है। उसे यह डर नहीं है कि कल अगर मौजूदा समीकरण में कोई फेर-बदल हो तो उसे अपना बयान बदलने की ज़रूरत पड़ सकती है।