Khushi Ke Mausam
ख़ुशी के मौसम -
इन कहानियों में मानव सम्बन्धों की गहन अनुभूतियों का वर्णन है। इस शैली को अब अली बाकर की अनूठी और रोचक शैली कहा जाता है। उनकी कथावस्तुएँ विभिन्न मनोवैज्ञानिक पहलुओं तथा भावनात्मक ज़रूरतों की जोड़-तोड़ की प्रक्रिया का वर्णन करती हैं। पूर्वी देशों से आये लोगों की संस्कृति की और उनके प्रति बेरुखापन दिखानेवाले पश्चिमी लोग अली बाकर के बहुआयामी पात्र विभिन्न परिवेशों से सावधानीपूर्वक लिये गये हैं जिनसे परिपक्व मूल्यों और स्वप्नों के साकार करने की अथक क्षमता हासिल करना प्रदर्शित होता है। वह भारत और इंग्लैंड दोनों को एक समान महसूस करते हैं तथा दोनों संस्कृतियों की गहन समझ-बूझ उनके लेखन को समृद्धता प्रदान करती है। भारतीय और विदेशी समाचारपत्रों, पत्रिकाओं आदि में सामाजिक रूप से प्रासंगिक लेखों के प्रकाशन के अलावा अली बाकर ने आकाशवाणी, वॉयस ऑफ़ अमेरिका, दूरदर्शन और बीबीसी में अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
अली बाकर स्वयं को अपंग लोगों के लिए काम करने वाला व्यक्ति मानते हैं। वह अपंगता से ग्रस्त नौ करोड़ भारतीयों के अधिकारों और गरिमा पर टेलीविज़न के लिए बनाये जानेवाले कार्यक्रमों पर शोध, लेखन और उनका निर्माण कर रहे हैं। 26 कड़ियों वाला उनका धारावाहिक 'एक घर आसपास' जिसमें मानसिक अपंगता से ग्रस्त लोगों की समस्याएँ उठायी गयी हैं, दूरदर्शन के राष्ट्रीय नेटवर्क से प्रसारित किया गया और वह दूरदर्शन के तीन सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिकों में गिना गया है।