Kisan Rashtriya Aandolan Aur Premchand :1918-22
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"किसान राष्ट्रीय आंदोलन और प्रेमचन्द्र : 1918-22 - यह सही है कि अवध के किसान आंदालन की मुख्य घटनाएँ जनवरी, 1921 से भले ही शुरू हुई हों, लेकिन अवध में किसानों का संगठन इससे बहुत पहले ही शुरू हो चुका था। कांग्रेस के मालवीय ग्रुप ने 1918 की फ़रवरी में इलाहाबाद में यू.पी. किसान सभा का गठन किया था। लेकिन इस किसान सभा ने कोई वास्तविक आंदालेन नहीं खड़ा किया। बावा रामचंद्र के नेतृत्व में जिस किसान सभा ने अवध में किसान आंदोलन खड़ा किया, उसका पहला संगठन प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के रूरे गाँव में बना। सिद्दीक़ी के मुताबिक यह संगठन 1920 की शुरुआत मं बना। लेकिन कपिल कुमार ने लिखा कि रुरे की पहली किसान सभा का संगठन 1917 में हुआ। कपिल कुमार ने अपनी तारीख़ के लिए काफ़ी सबूत नहीं दिये, वैसे ही जैसे सिद्दीक़ी ने नहीं दिये। पहली किसान सभा 1917 में बनी हो या नहीं, किसान सभाओं की कार्रवाई और फैलाव 1920 से ही शुरू होता है। यह कपिल और सिद्दीक़ी के बयान से ज़ाहिर है। रूरे में पहली किसान सभा का गठन करने वाले झिंगुरी सिंह और शाहदेव सिंह से बाबा रामचंद्र की पहली मुलाक़ात 1919 में होती है। उसके बाद ही किसान सभाओं का फैलाव शुरू होता है, जो 1920 के शुरू के महीनों की बात है। बाबा रामचंद्र को किसान सभा में लाने से पहले झिंगुरी सिंह और शाहदेव सिंह 20-25 किसान सभाएँ बना चुके थे। यह 1919 की बात है। इन्हीं दिनों प्रेमचंद 'प्रेमाश्रम' लिख रहे थे। उन्होंने 2 मई, 1918 को इसे लिखना शुरू किया।
- इसी पुस्तक से
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ISBN
9788181438676