Koormanchali Ki Kavitayen

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आओ सुनें चुपचाप चिड़िया का गान !

“काफल पाको त्वील नी चाखो" की मधुर तान !

सुनें उसे बस और कुछ न सुनें,

कुछ न करें, बस सुनें सुनें,

सुनते रहें चुपचाप !

न गिनें कि जंगल में देवदारु कितने हैं?

कितने बाँज ? चीड़ कितने हैं?

न सुनें वायु का रुदन

झरनों की छल छल कल कल

पत्तों की सर सर खर खर

झींगुरों की झिंग झनन झनन !

कुछ न करें बस लेटे रहें

सुनते रहें चिड़िया का गान

“काफल पाको त्वील नी चाखो" की मधुर तान

पास पास घास पर

जब तक अनायास ही

हमारे होंठों से प्यास किसी पिछले जीवन की न फूट पड़े बन

“काफल पाको मील नी चाखो" की मधुर तान !

ISBN
9789350724286
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