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Kshitij Ke Uss Paar

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क्षितिज के उस पार - 
पिछली सदी के पूर्वार्द्ध में कहा जाता था कि संयुक्त प्रान्त को आन्ध्र को सबसे बड़ी देन है श्री सी. वाई, चिन्तामणि जो लिवरल पार्टी के नेता और इलाहाबाद से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक 'लीडर' के मुख्य सम्पादक थे।
श्री चिन्तामणि को खेद था कि लगभग तमाम ज़िन्दगी हिन्दी भाषी प्रान्त में रहते हुए भी वह हिन्दी नहीं सीख सके। उन्हीं के अनुसार उनकी इस कमी को पूरा किया उनके मेधावी पुत्र बालकृष्ण ने।
बालकृष्ण की अधिकांश शिक्षा इलाहाबाद में हुई। वर्ष 1935 में आई. सी. एस. की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के बाद वह प्रशिक्षण के लिए, आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय चले गये।
वापस आने के बाद उन्होंने विभिन्न प्रशासकीय पदों पर काम किया। वर्ष 1954 में सिविल सर्विस से अलग होकर वह अपने प्रिय शहर इलाहाबाद में बस गये। वह इलाहाबाद के महापौर (मेयर) बने और गोरखपुर तथा आगरा विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए।
अपने उत्तरदायित्वों से निवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना शेष जीवन हिन्दी साहित्य, विशेषकर हिन्दी काव्य साहित्य की सेवा में लगा दिया।

प्रस्तुत संग्रह में उनकी कुछ चुनी हुई कविताएँ दी जा रही हैं। आशा है यह प्रयास हिन्दी कविता साहित्य में बालकृष्ण राव जी के योगदान को उचित पहचान और सम्मान दिलायेगा।

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