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लल्लन मिस एक हिजड़े की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है, जिसने सामाजिक पूर्वधारणा की दीवारों को तोड़कर झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए एक स्कूल का निर्माण किया, ताकि उनका एक बेहतर 'भविष्य' बन सके। चौवालीस वर्षीय राजकुमारी जिसे लल्लन हिजड़ा के नाम से भी जाना जाता है ने पटना में इस स्कूल का निर्माण किया। भू-माफिया की धमकी के बावजूद उसे अभी भी स्कूल चलाने की इच्छा थी । स्कूल चलाने के पन्द्रह साल बाद, लल्लन को भू-माफिया से स्कूल खाली करवाने के लिए धमकियाँ मिलनी शुरू हुईं और बाद में भू-माफिया द्वारा स्कूल को जला दिया गया। इतना होने के बावजूद लल्लन क्षेत्र के अन्य सक्रिय भागीदारों के साथ मिलकर स्कूल का पुनर्निर्माण कराने की कोशिश करती है।

राजकुमारी इस नाटक के बारे में बताती हैं "नेताओं और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लम्बे वादों के बावजूद, स्कूल पूरी तरह से गायकों और नृत्य के माध्यम से अर्जित धन पर चल रहा था। निःशुल्क ट्यूशन, किताबें और भोजन (शनिवार को खिचड़ी) के साथ, स्कूल का बजट लगभग 46,000 रुपये का आता है, जो जीवनयापन के लिए बहुत ही कम था। शुरू में, नेताओं ने स्कूल के लिए सरकारी ज़मीन देने का वादा किया था, लेकिन समय के साथ, यह वादा भी उनके बाक़ी चुनावी वादों की तरह भुला दिया गया था।"

स्कूल के पुनर्निर्माण (लगभग चार साल बाद) के बाद भू-माफियाओं ने जवाबी कार्रवाई की और इस बार लल्लन को जान से मारने की धमकी दी गयी और अन्ततः बुलडोजर से स्कूल को तहस-नहस कर दिया जिसने लल्लन को मानसिक रूप से मार डाला। लेकिन उसने हार नहीं मानी, यह नाटक लल्लन की कभी न असफल होने वाली भावना को दर्शाता है जो हमें जीवन में चीज़ों को प्राप्त करने के लिए चुनौती देता है और प्रोत्साहित करता है।

निर्देशक रमा पाण्डेय नाटक पर अपना मत रखते हुए मानती हैं, "यह नाटक मेरे जीवन की सबसे कठिन चुनौती है, मैंने अपने जीवन के अनुभवों में लल्लन और अन्य हिजड़ों के जीवन को बुना है। मैंने एक दिलचस्प नाटक शैली में गम्भीर कहानी को चित्रित करने की चुनौती ली है, जिसके लिए मैं 'भपंग' एक पुराने लोक माध्यम का भी उपयोग कर रही हूँ। "

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