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Vani Prakashan
Madhya Aur Poorvi Europe Mai Hindi
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9788181436047
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मध्य और पूर्वी यूरोप में हिन्दी -
हिन्दी एक सशक्त विश्व भाषा के रूप में स्थापित होती जा रही है। इसमें कला, साहित्य, संस्कृति से जुड़े कलाकारों का तो योगदान है ही, उन विदेशी शब्द-कर्मियों का भी बड़ा योग है, जिन्होंने स्वेच्छा से हिन्दी का अध्ययन किया और लेखन तथा अध्यापन द्वारा हिन्दी को एक आधुनिक विश्वभाषा के रूप में विश्व पटल पर रखा। उनमें इमरै बंघा का नाम और काम अत्यन्त आदर के साथ लिया जाता है। भारतीय आलोचना का परिदृश्य उनके द्वारा लिखी और आनन्दघन के जीवनवृत्त को गहराई से विश्लेषित करनेवाली कृति 'सनेह को मारग' से परिचित है। जहाँ उन्होंने घनानन्द के जीवन और रचनाओं के द्वारा हिन्दी प्रेम-काव्य के निहितार्थों को खोल कर हिन्दी के स्वच्छन्द कवि घनानन्द की रचनाओं को प्रस्तुत किया।
ISBN
9788181436047
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Vani Prakashan
Publication | Vani Prakashan |
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