Man Ke Das Sansar
In stock
Only %1 left
SKU
9789387648388
As low as
₹185.25
Regular Price
₹195.00
Save 5%
सर्वप्रथम बुद्धत्व क्या है? शायद यह क्या नहीं है, से शुरू करना आसान होगा। बुद्धत्व कोई अलौकिक विशेषता नहीं कि आपको हवा में उड़ने जैसे दैवीय या जादुई कमाल के योग्य बनाता हो; न ही यह अनुभवातीत अवस्था ही है जो कि इस दुनिया की रोजमर्रा की सच्चाई से पृथक है, जिसमें आप मानसिक आनन्द या शान्ति पाते हैं। बुद्धत्व है और सिर्फ़ प्रकट किया जा सकता है, यहाँ और अभी, इस दुनिया के हाड़-मांस के लोगों और वास्तविक क्रिया- कलापों के द्वारा । निचिरेन दैशोनिन कहते हैं- “भगवान शाक्यमुनि बुद्ध के इस संसार में आविर्भाव का वास्तविक अर्थ उनके मनुष्य के रूप में किये गये कार्य हैं।" कितनी गम्भीर बात है! दूसरे शब्दों में, शाक्यमुनि भगवान नहीं थे बल्कि एक मनुष्य थे और बुद्धत्व, हालाँकि जीवन की उच्चतम स्थिति है, को सभी लोग प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार बुद्ध और सामान्य जन में कोई मौलिक अन्तर नहीं है। बुद्ध एक साधारण मनुष्य हैं जीवन की वास्तविक प्रकृति में 'जगे हुए', जैसा कि निचिरेन दैशोनिन ने आगे व्याख्या करते हुए कहा है, "जब भ्रमित होता है तो सामान्य मनुष्य कहलाता है, किन्तु प्रबोधन होने पर वह बुद्ध कहलाता है।"ऑरेलियो पेसई कहते हैं, “यह भ्रम कि विकास चाहे वह किसी भी प्रकार का हो-खुद में अच्छा है-ने हमारे दिमाग़ को प्रदूषित कर रखा है और यह एक मिथ्या धारणा है, जो कि आज भी हमारी आशाओं को बल देने में सक्षम है।” देसाकु इकेदा बुद्धत्व का वर्णन इस प्रकार करते हैं—“यह खुशियों की खुशी है...जन्म, बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु वेदना नहीं हैं, बल्कि जीवन की ख़ुशी का हिस्सा हैं। ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशमय कर देता है, मनुष्य की आन्तरिक अनैतिक प्रकृति का विनाश कर देता है। बुद्ध का जीवन स्थान (Life Space) सम्मिलित हो जाता है और ब्रह्माण्ड के साथ एकाकार हो जाता है। व्यक्ति ब्रह्माण्ड हो जाता है और क्षण भर में ही जीवन- प्रवाह समस्त भूत और भविष्य को खुद में समेट लेता है। वर्तमान के प्रत्येक क्षण में, ब्रह्माण्ड की शाश्वत जीवन शक्ति ऊर्जा के एक बहुत बड़े फव्वारे के रूप में प्रवाहित होने लगती है।"
ISBN
9789387648388