Maren To Umra Bhar Ke Liye
आशुतोष ने अपनी शुरुआती कहानी 'रामबहोरन की अनात्मकथा' से लोगों को न केवल चौंका दिया था बल्कि अपने कथाकार के लिए बड़ी उम्मीदें जगाई थीं। कालान्तर में सामने आयी आशुतोष की कहानियों ने उनको बतौर कथाकार स्थापित किया। वैसी ही रचनाओं का निवास है आशुतोष का यह पहला कहानी-संग्रह-मरें तो उम्र भर के लिए।
आशुतोष के यहाँ भारतीय जीवन विविध रूपों में जगह पाता है और बड़ी बात यह कि लेखक उसको चाक्षुष में रूपान्तरित करता है. कभी क़िस्सागोई के साथ, कभी तंज़, कभी हँसमुखपन के साथ। शायद इसीलिए आशुतोष के यहाँ पठनीयता प्रखर है। पाठक तक अपनी अभिव्यक्ति की पहुँच बनाने के लिए उनके यहाँ पहले से प्रचलित तथा आजमाई हुई रचनात्मक युक्तियों का निषेध है। आशुतोष समाज और किरदारों के सत्य की जटिल राहों पर गुज़रते हैं और फिर जो रचते हैं वह हमारे लिए यथार्थ और कला दोनों के रूप में महत्त्वपूर्ण होता है। यहाँ यह भी कहना होगा कि आशुतोष हमारे सामाजिक जीवन के संकट और विसंगतियों की व्याख्या में अपनी पक्षधरता प्रकट करते हैं लेकिन उनके वर्णन में ख़ास तरह की निस्संगता है। यही समर्थ कथाकारों का तरीक़ा होता है जो कि आशुतोष के पास है ।
यह कहने में हर्ज नहीं है कि 21वीं सदी में जो कहानीकार नया यथार्थ और उसे व्यक्त करने का अपना सलीका लेकर सामने आये, उनमें आशुतोष की अपनी जगह है। ज़ाहिर है, इस उपलब्धि के पीछे मरें तो उम्र भर के लिए की कहानियों की विशिष्ट भूमिका है।
-अखिलेश