Maya Varg
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9789387889668
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हिन्दी में लोकोपयोगी गणित सम्बन्धी पुस्तकों का सर्वथा अभाव है। गणित का विषय स्कूल के बच्चों को हुआ सा प्रतीत होता है। इस बात के समझाने की आवश्यकता है कि गणित में ‘शून्य और खहर’ (अनन्ती) सम्बन्धी ‘पैशाचिक क्रियायें’ ही नहीं होतीं, व्यावहारिक बुद्धि की बातें भी होती हैं। गणित में लोकोपयोगी खेल भी होता है। पहेलियाँ भी होती हैं। मानसिक क्रीड़ायें भी होती हैं। केवल उनकी और ध्यान आकृष्ट करने की आवश्यकता होती है।
ISBN
9789387889668