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"इंटरनेट ने एक नया सूचना संसार हमारे सम्मुख खोला है। दुनिया के लिए एक खिड़की की तरह । लेकिन यहाँ कामुकता और पोर्नोग्राफी के खतरे सबसे ज्यादा हैं। टेलीविजन ने विश्व बाजार का जो नया परिदृश्य निर्मित किया है, उसे इंटरनेट ने और विस्तृत कर दिया है। जनसंचार माध्यम और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में देखें तो आज समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविजन, फिल्म आदि एक ही साथ इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। स्वाभाविक है कि इन सबकी अच्छाई-बुराई भी एक साथ यहाँ मिलेंगी। ध्यान देने की बात यह है कि इंटरनेट पर बुराइयों को रोकने का कोई ठोस कानून अभी तक नहीं बन सका है। परिणामतः साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। नये किस्म के अपराधों में वृद्धि हो रही है। इंटरनेट क्योंकि विश्व माध्यम है, इसलिए इससे होने वाले अपराध कभी भी और कहीं से भी हो सकते हैं ।
ये और ऐसी ही चिन्ताओं तथा चुनौतियों से सारी दुनिया चिन्तित है । सारी दुनिया चिन्तित न भी हो, भारतीय समाज अवश्य चिन्तित होना चाहिए। ये सब चिन्ताएँ संचार प्रौद्योगिकी-जनित हैं। लेकिन दूसरी ओर सच यह भी है कि इसमें संचार प्रौद्योगिकी का क्या दोष? दोष तो प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का है। उसे इस्तेमाल करने वाले दिमागों और हाथों का है। यही हमारे तथा संचार प्रौद्योगिकी के लिए सच्ची चुनौती है। स्थिति तब बदल सकती है जब सूचना संचार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सही उद्देश्यों के लिए हो और इसका पूँजीवादी चरित्र बदले। इसे लोककल्याणकारी बनाना होगा। माध्यमों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इस्तेमाल करना होगा। यह तभी सम्भव हो पाएगा, जब उनका नियन्त्रण सही हाथों हो। व्यापक मानव समाज के हितों को ध्यान में रखकर हमें नीतियाँ बनानी होंगी। समाज में वैज्ञानिक तकनीक अथवा प्रौद्योगिकी का विकास सच्चे अर्थ में तभी सम्भव है, जब समाज में रहने वाले लोगों का दृष्टिकोण भी वैज्ञानिक हो । उनकी चेतना भी तकनीकी हो । ज्ञान के धरातल पर वैज्ञानिक चेतना-शून्य समाज में प्रौद्योगिकी के सही प्रयोग की सम्भावनाएँ नहीं हुआ करतीं। हमें इसी अँधेरे के विरुद्ध संघर्ष करना है। तभी हम जनसंचार प्रौद्योगिकी के वास्तविक महत्त्व को समझ पाएँगे। समझ पाएँगे कि जनसंचार प्रौद्योगिकी का वास्तविक कार्य समाज के कल्याण के लिए है, उसके समग्र विकास के लिए है। उसे एक जागरूक प्रहरी, अभिभावक, शिक्षक, दिशा-निर्देशक, मित्र तथा रचनात्मक आलोचक की भूमिका का निर्वाह करना चाहिए।
अन्त में हम मीडिया प्रोफेक्ट के रूप में प्रसिद्ध पाश्चात्य विचारक मार्शल मैकलुहान के एक कथन को उद्धृत करना चाहेंगे। उन्होंने कहा है, ""हमारे चारों ओर के माहौल की प्रौद्योगिकी किस प्रकार बनती है, यह जानकर ही हम उसके निर्णायक प्रभावों को रोक सकते हैं। मेरी चिन्ता यही है कि लोग इन निर्णायक प्रभावों के खतरों की अवहेलना कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी के प्रभाव तो होंगे ही, लेकिन यान्त्रिकता मनुष्य के विवेक पर हावी नहीं होनी चाहिए। यदि हम यान्त्रिकता से उत्पन्न जटिलताओं को सही तौर पर समझ लें तो इसके दुष्प्रभावों को समय रहते रोक भी सकते हैं। उन्हें रोकने के लिए दूसरे उपाय भी ढूँढ़ सकते हैं।"""
ISBN
9788181433312