Meri Katha Dalit Yatana Sangharsh Aur Bhavishya
मेरी कथा -
आई.आई.डी. एस यानी इंडियन इंस्टीच्यूट फॉर दलित स्टडीज़ एक ऐसा संस्थान है जो ग़रीब दलित के लिए और उनसे जुड़े विभिन्न पक्षों पर अनुसन्धान और सामग्री प्रकाशन का काम करता है। दलित समस्याओं को उभारने के साथ उनकी सुरक्षाओं से जुड़े अनुसन्धानों नीतियों और माध्यमों के साथ-साथ एन.जी.ओ. क्षेत्र को भी वह शामिल करता है। इन सर्वे रिपोटों और अपने विभिन्न कृति कार्यों द्वारा दलित वर्गों के सकारात्मक विकास और न्याय को सुनिश्चित करता है। मार्टिन मेकवान की पुस्तक 'मेरी कथा' का प्रकाशन भी इस प्रयास को एक कड़ी है।
मार्टिन मेकवान मूलतः गुजरात प्रदेश के हैं परन्तु अपने ज्ञान और समर्पण के कारण पूरे देश में अपना स्थान बना चुके हैं। वे डॉ. अम्बेडकर के 'समानता, स्वतन्त्रता और भाईचारा' सन्देश के अनुयायी हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समर्पित कर दिया। वे दृढनिश्चयी, मेधावी, संगठनकर्ता होने के साथ-साथ कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ता भी हैं।
मार्टिन मेकवान नवसृजन नाम की एक संस्था चलाते हैं। उन्होंने ज़मीनी स्तर पर बरसों बरस काम किया। उन्होंने
अनेक मुसीबतें, हमले और दुश्वारियाँ भी सही परन्तु इससे वे लगातार मज़बूत और अनुभव सम्पन्न हुए। इन्हीं रोज़ के अनुभवों का सार यह किताब 'मेरी कथा' है। यह मूल गुजराती में लिखी गयी थी और व्यापक स्तर पर इसे सराहा गया था। अपने कथ्य और कहन में यह किताब बेजोड़ और अपूर्व है। इस किताब के पैंतीस अध्याय इस तरह से लिखे और डिज़ाइन किये गये हैं कि पूरी किताब पढ़ने के बाद किसी तरह का शक-शुबहा नहीं बचता। वास्तव में, हर अध्याय के अन्त में पूछे गये प्रश्न इन्हीं शुबहाओं के माकूल इलाज है। यह किताब एन.जी.ओ. और समाज के लिए न केवल प्रासंगिक बल्कि अनिवार्य है। सामाजिक एक्टिविज्म के क्षेत्र में काम करने वाले दलित और ग़ैर दलित कार्यकर्ताओं को यह किताब अम्बेडकरवादी चेतना से सम्पन्न करती है जो न्याय, समानता, स्वतन्र् ता और गरिमा पर आधारित है।
आई.आई.डी.एस. ने इस किताब को छापने का फैसला इसकी इसी अनिवार्यता और उपयोगिता के मद्देनज़र लिया है। इस किताब के हिन्दी अनुवाद के लिए श्री रामनरेश सोनी और पुनरीक्षण के लिए डॉ. अजय नावरिया का आभार प्रकट करता हूँ। डॉ. घनश्याम शाह का भूमिका लिखने के लिए आभार प्रकट करता है। साथ ही, उन सभी का भी, जो इस पुस्तक प्रकाशन से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जुड़े रहे।
-(प्रो. सुखदेव थोरात) मैनेजिंग ट्रस्टो
अन्तिम पृष्ठ आवरण -
“मेरी कथा... दलित यातना संघर्ष और भविष्य, विख्यात दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता मार्टिन मेकवान ने भले लिखी हो, परन्तु यह उन सबकी और उन सबके लिए है, जिन्होंने इस भेदभाव को सहा है और सभी मनुष्यों के साथ समानता और स्वतन्त्रता की आकांक्षा रखते हैं। यह किसी एक व्यक्ति की आत्मकथा अथवा अपने जीवनानुभवों का ब्यौरा नहीं है। निश्चित तौर पर यह समाज में समानता प्राप्त करने का परिप्रेक्ष्य है।" -डॉ. घनश्याम शाह
"यह किताब एन.जी.ओ. और समाज के लिए न केवल प्रासंगिक बल्कि अनिवार्य है। सामाजिक एक्टिविज्म के क्षेत्र में काम करने वाले दलित और ग़ैर दलित कार्यकर्ताओं को यह किताब अम्बेडकरवादी चेतना से सम्पन्न करती है जो न्याय, समानता, स्वतन्त्रता और गरिमा पर आधारित है।" -प्रो. सुखदेव थोरात