Naitikta Ke Naye Sawal
आज के प्रश्न : नैतिकता के नए सवाल -
पुरानी नैतिकता अब काफ़ी क्यों नहीं है? नयी नैतिकता के मुख्य आधार क्या है? नैतिकता का वैश्वीकरण की प्रक्रिया से क्या रिश्ता है? क्या नैतिक लोकतन्त्र स्थापित किए बग़ैर वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है? आर्थिक नैतिकता की कौन-सी माँगें है? और स्त्री अधिकारों का प्रश्न? क्या मानव सम्बन्धों में एक बारीक नैतिक व्यवस्था बनाये बग़ैर स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में क्या वास्तविक रस पैदा हो सकता है? ये और इस तरह के अनेक प्रश्नों पर इस पुस्तक के लेखकों ने गम्भीरता से विचार किया है। इस दृष्टि से यह पुस्तक वर्तमान समय की पड़ताल भी है। और नैतिकता के स्रोतों को समझने की कोशिश भी इन विचारपूर्ण और विचारोत्तेजक लेखों को पढ़ते हुए हम इस विचार के क़रीब आते जाते हैं कि नैतिकता सिर्फ़ व्यक्तिगत आदर्शवाद नहीं है, बल्कि एक व्यवस्थागत प्रश्न भी है। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि जब अनैतिकता का दबाव बढ़ रहा हो, तब नैतिक होने की प्रेरणा कहाँ से लायें?
अन्तिम पृष्ठ आवरण -
क्या नैतिकता, आदर्श, ईमानदारी आदि गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गये हैं? या पुरानी संकीर्ण नैतिकता के स्थान पर एक व्यापक नैतिकता की माँग पैदा हो रही है? पुरानी नैतिकता अब काफ़ी क्यों नहीं है? नयी नैतिकता के प्रमुख आधार क्या हैं? क्या नैतिक लोकतन्त्र की स्थापना किये बग़ैर वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है? मानव सम्बन्धों में एक बारीक नैतिक व्यवस्था बनाये बग़ैर स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में क्या वास्तविक रस पैदा किया जा सकता है? इस तरह के अनेक प्रश्नों पर इस पुस्तक के लेखकों ने गम्भीर विचार किया है। वर्तमान समय और समाज को समझने का एक विचारोत्तेजक दृष्टिकोण।