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Pachas Million

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पचास मिलियन - 
सोलामल शिंवारे की प्रत्येक कहानी एक गहरी सोच का पैग़ाम लिए हुए है। जहाँ सोलामल धर्म के नाम पर देश में सफ़ेद दाढ़ी, सफ़ेद कपड़ों तथा मालाएँ हाथों फेरते उन कट्टरपन्थियों पर कटाक्ष करते हैं जो विदेश में जाकर ऐश व अय्याशी का कोई कोना नहीं छोड़ते वहीं वह ब्रिटिश, रूसी, अमरीकी प्रतिस्पर्धा तथा पाकिस्तानी हथकंडों के बीच घिरे अफ़ग़ानी समाज का मार्मिक चित्रण कर उस पर आँसू बहाने को भी विवश हैं।

पचास मिलियन इसी पठान का एक मार्मिक सजीव चित्रण है जो स्वयं को भूल बैठा है। उसका धरातल उसके पैरों तले से खिसक चुका है। एक सर्वमान्य नेता के अभाव में वह दूसरों की कठपुतली बना हुआ है। चारों ओर से उसे नोचा जा रहा है। उसकी बहादुरी के कारण उसका अस्तित्व, उसकी संस्कृति, उसकी भाषा आज मिटने के कगार पर है। अब भी अगर वह सुपर पॉवर की चालों को न समझ सका और भाई-भाई का गला काटता रहा, केवल स्वयं को ही सर्वेसर्वा समझकर क़ौमी एकता न ला सका तो शायद पठान क़ौम इतिहास के एक अध्याय-मात्र तक सीमित हो जायेगी। पचास मिलियन इसी भोले-भाले पठान को जागृत करने का प्रयास है।

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